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हमारे प्रयासों में कमी रह जाती है, तो यह प्रदेश का अहित होने का पाप होगा : शिवराज

Shivraj Singh Chauhan

Shivraj Singh Chauhan

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अधिकारी-कर्मचारी पूरी क्षमता, समर्पण, ईमानदारी और परिश्रम से कार्य कर प्रदेश की जनता के कल्याण को सुनिश्चित करें।

श्री चौहान ने आज मंत्रालय से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से प्रदेश के जिलों के कलेक्टर्स और सभी कमिश्नर्स, आई.जी. और एस.पी स्तर के अधिकारियों से प्रथम सत्र में संवाद किया। उन्होंने कहा कि कलेक्टर्स, विभागीय अधिकारी और उनका अमला प्रदेश के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ दें। विकास के लिए हम सब एक हैं। यदि हमारे प्रयासों में कोई कमी रह जाती है, तो यह प्रदेश का अहित होने का पाप भी होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्धारित एजेंडा के अनुसार मासिक समीक्षा होगी। माह में 29 दिवस काम और एक दिन समीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि यह मासिक समीक्षा सु-शासन का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने मिलावटियों और माफियाओं के विरूद्ध पूरी ताकत से अभियान जारी रखने को कहा। वीडियो कॉन्फ्रेंस में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस उपस्थित थे।

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श्री चौहान ने कहा कि अच्छा कार्य करने वाले अधिकारियों की पीठ थपथपाई जाएगी। जो अधिकारी परिणाम नहीं देंगे, तो वे उन पदों पर आसीन नहीं रहेंगे। निष्पक्ष मूल्यांकन करते हुए श्रेष्ठ कार्य करने वाले अधिकारियों की प्रशंसा भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि उनकी दृष्टि में सभी समान हैं। मन में किसी तरह का राग-द्वेष किसी के लिए नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि माफिया के विरुद्ध पूरी सख्ती से कार्यवाही जारी रहे। चिन्हित अपराधों पर अच्छी प्रतिबंधात्मक कार्यवाही के लिए 3 जिलों बैतूल, सतना, रीवा को मुख्यमंत्री ने बधाई दी। उन्होंने कहा कि गुमशुदा बच्चों को तलाशने का कार्य अच्छा हुआ है। सायबर क्राइम भी इसी तत्परता से रोके जाएं।

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कॉन्फ्रेंस में पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी ने जानकारी दी कि 12 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के साथ हुए बलात्संग के प्रकरणों में गत चार वर्ष में 25 मामलों में मृत्यु-दण्ड की सजा सुनाई गई है। इन मामलों में आरोपियों ने न्यायालयों में अपील की है जिसकी मॉनीटरिंग की जा रही है। महिला अपराध और आदतन अपराधियों के विरूद्ध कड़ी वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। बालिकाओं के अपहरण प्रकरणों की समीक्षा की गई। जनवरी 2021 में संचालित ऑपरेशन मुस्कान के फलस्वरूप कुल 2632 बालक-बालिकाओं की जानकारी प्राप्त कर उन्हें उनके परिवार तक पहुँचाने का कार्य किया गया।

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