यही हमारे लोकतंत्र की ताकत, संसदीय व्यवस्था की निरंतरता और सफलता का राज है कि सरकार और विपक्ष के बीच मुद्दों को लेकर घोर मतभेद होते हैं, राजनीतिक, प्रशासनिक नीतियों पर तमाम असहमतियों एवं वैचारिक दूरियों के बावजूद निजी तौर पर सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं में एक दूसरे के प्रति गहरा प्रेम और सम्मान का भाव होता है। राज्य सभा में जम्मू-कश्मीर से आने वाले सदस्यों के कार्यकाल खत्म होने के मौके पर जो भावपूर्ण दृश्य देखने को मिला, वह दरअसल हमारे लोकतंत्र और संसदीय इतिहास का बहुत खूबसूरत और यादगार पल है।
जम्मू-कश्मीर में विधान सभा का चुनाव नहीं हुआ है और इस कारण इस राज्य से राज्यसभा के निर्वाचित होने वाले सदस्यों का पद आज से रिक्त हो रहा है। जम्मू कश्मीर से राज्यसभा में जो चार सदस्य थे उसमें कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद, पीडीपी से फय्याज अहमद मीर और भाजपा व नेशनल कान्फ्रेंस से एक-एक सदस्य शामिल थे जिनका आज कार्यकाल खत्म हो गया। राज्यसभा में विदाई के मौके पर इन सभी सदस्यों ने जिस तरह विभिन्न मसलों पर सरकार से मिले सहयोग, जनहित के कार्यों को निपटाने में सरकार के द्वारा दिखायी गयी रुचि और जम्मू कश्मीर के विकास के लिए केन्द्र द्वारा की गयी पहल की प्रशंसा की गयी।
राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद की विदाई पर भावुक हुए पीएम मोदी, किया सैल्यूट
आम तौर पर पीडीपी, नेशनल कान्फे्रंस और कांग्रेस अधिकतर मुद्दों पर सरकार के खिलाफ ही रहती हैं, लेकिन आज विदाई के मौके पर जिस तरह से सभी सदस्यों ने कश्मीर में सरकार के प्रयासों की सराहना की और खुले दिल से वहां हो रहे विकास को स्वीकार किया उससे स्पष्ट है कि सरकार जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ भावनात्मक रूप से भी जोड़ने में सफल हो रही है। सभी सदस्यों ने कश्मीर में पंचायत चुनाव, बिजली, पानी, सड़क स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र में हुए सुधार को स्वीकार किया।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने इन सदस्यों के योगदान की तारीफ करते हुए इनके भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं और इसी मौके पर उन्होंने 2005 में गुजरात के पर्यटकों पर कश्मीर में हुए हमले के दौरान गुलाम नबी आजाद से मिले सहयोग का जिक्र करते हुए भावुक हो गये। उन्होंने गुलाम नबी आजाद के साथ परस्पर संवाद और गहरी मित्रता का जिक्र करते हुए उनको आदरपूर्वक ध्न्यवाद दिया। जब गुलाम नबी आजाद बोलने खड़े हुए तो उन्होंने भी प्रधानमंत्री से मिले सहयोग और अपने संसदीय यात्रा को याद करते हुए कुछ घटनाओं का जिक्र किया और जब गुजरात के पर्यटकों पर हुए हमले की दुखद घटना को याद किया तो वे भी भावुक हो गये। गुलाम नबी आजाद देश के सबसे अनुभवी नेताओं में हैं और इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में रहने के साथ ही कश्मीर के मुख्यमंत्री, कांग्रेस संगठन में लंबे समय तक बड़े पदों पर रहे हैं।
28 साल की संसदीय यात्रा में वे राज्यसभा में सबसे अधिक समय तक विपक्ष के नेता भी रहे हैं। ऐसे अनुभवी लोग जब सरकार या विधायी संस्थाओं में होते हैं तो उनकी गरिमा बढ़ती है। प्रशासन एवं विधि निर्माण की गुणवत्ता भी बढ़ती है। गुलाम नबी आजाद संसदीय कार्य मंत्री के रूप में, कांग्रेस नेता के रूप में और विपक्ष के नेता के रूप में सरकार और विपक्ष के बीच एक लंबे समय तक पुल का काम करते रहे हैं। ऐसे में उनकी कमी राज्यसभा, सरकार और विपक्ष को अवश्य खलेगी।