नई दिल्ली| भारतीय अर्थव्यवस्था लॉकडाउन में ढील के बाद धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। इससे नौकरियों के अवसर बढ़े हैं लेकिन अभी भी बड़े वेतन वाली नौकरियों (व्हाइट कॉलर जॉब) के लिए पेशवरों को इंतजार करना पड़ रहा है।
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पेरोल डाटा के अनुसार, अप्रैल से जून तिमाही के दौरान असंगठित क्षेत्रों में 08 लाख नई नौकरियां निकलीं जिसमें से पांच लाख सिर्फ जून महीने में आईं। यह उछाल एक्सपोर्ट हाउस, प्राइवेट गार्ड, इंफ्रा क्षेत्र से जुड़े छोटे ठेकेदार और छोटी कंपनियों में नई नियुक्तियां निकलने से हुईं।
‘डाटा के अनुसार, ये सभी नौकरियां कम वेतन वाली थी। वहीं, अभी भी विनिर्माण क्षेत्र, वित्तीय प्रतिष्ठान और कोर इंजीनियरिंग क्षेत्र में बड़े वेतन की नौकरियां नहीं निकल रहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वहीं, दूसरी ओर इस दौरान वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में 9000, इंजीनियरिंग में 16,000 और वित्तीय सेक्टर में मात्र 649 नई नियुक्तियां हुईं।
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अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने यह अनुमान लगाया है कि अगर भारत सितंबर के अंत तक कोरोना महामारी पर काबू पाने में नकामयाब रहता है तो देश में युवा बेरोजगारी की दर बढ़कर 32.5 फीसदी पहुंच जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 61 लाख युवा कोरोना महामारी के कारण नौकरी गवां सकते हैं।