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भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का किया सफल परीक्षण, जानें खासियत

ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल BrahMos supersonic missile

ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल

 

नई दिल्ली। भारत ने एक नई ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का बुधवार को सफल परीक्षण किया है। ये ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का नया वर्जन है। ये मिसाइल 400 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य को भेदने में माहिर है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल परीक्षण में पूरी तरह से सफल रही है।

इससे पहले सितंबर 2019 में इसी मिसाइल के 290 किमी तक मार करने की क्षमता वाले वर्जन का डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन डीआरडीओ ने सफल परीक्षण किया था।

इस नए वर्जन का डीआरडीओ ने परीक्षण पीजे-10 प्रोजेक्ट के तहत किया गया है। इसे देश में बने बूस्टर का इस्तेमाल कर लॉन्च किया गया है। ये मिसाइल ब्रह्मोस के एक्सटेंडेड वर्जन का सफल परीक्षण है। ये नया वर्जन भी पहले वाले ब्रह्मोस मिसाइल नौसेना और वायुसेना में पहले से ही शामिल है।

इस मिसाइल का पहला वर्जन जो जमीन पर मार करने में सक्षम थी। उसका पहला ही परिक्षण हो चुका है। पहली मिसाइल का परीक्षण 11 मार्च 2017 को किया गया था। ये जमीन पर लंबी दूरी तक मार कर सकती है। ये मिसाइल 490 किमी दूर लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। डीआरडीओ ने सितंबर में 290 किमी तक दूरी वार करने वाली ब्रह्मोस का ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज में परीक्षण किया गया था।

भारत की इस खास मिसाइल सिस्टम को लेकर अन्य देश भी काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इस बारे में भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम के बारे में फिलीपींस और वियतनाम जैसे देशों ने जानकारी मांगी है। इन देशों ने मिसाइल खरीदने की इच्छा भी जताई थी।

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बतातें चलें कि ब्रह्मोस मिसाइल की तकनीक में भारत और रूस का हाथ है और दोनों ने मिलकर इसे बनाया है। ब्रह्मोस की सबसे ख़ास बात ये है कि ये मिसाइल दुनिया में अपनी तरह की एकमात्र क्रूज मिसाइल है। ये मिसाइल सुपरसॉनिक स्पीड से दागी जाने वाली मिसाइल है।

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यहां ये भी बता दें कि भारतीय सेना के तीनों अंग इस मिसाइल के अलग-अलग संस्करण का यूज़ करते हैं। थल सेना, वायु सेना और नौ सेना तीनों अलग-अलग उद्देश्यों के लिए इस मिसाइल का इस्तेमाल करती हैं।

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