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भारतीय संस्कृति प्रकृति के संरक्षण के प्रति सदैव संवेदनशील रही : सीएम योगी

Writer D by Writer D
28/10/2021
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, राजनीति, लखनऊ
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  ने आज इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिवसीय उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-2021 का शुभारम्भ किया। यह आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश एवं जर्मन डेवलपमेन्ट एजेन्सी के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री  ने इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। मुख्यमंत्री  ने विरासत वृक्षों पर आधारित एक काॅफी टेबल बुक तथा प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में 100 करोड़ पेड़ लगाने से सम्बन्धित एक पुस्तक ‘वृक्षारोपण जनआन्दोलन-2021’ का विमोचन किया। उन्होंने कार्बन न्यूट्रल पर आधारित एप लांच किया तथा प्रदेश में तीन ईको पर्यटन सर्किट का भी शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री  को वन एवं पर्यावरण मंत्री  दारा सिंह चैहान द्वारा दुधवा टाइगर रिजर्व के अंतर्राष्ट्रीय मानदण्डों के अनुरूप प्रबन्धन हेतु प्राप्त पुरस्कार सौंपा गया।

इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री  ने कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी का राज्य होने के नाते प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण की प्रदेश की जिम्मेदारी भी औरों से अधिक है। प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार इस जिम्मेदारी का पूरी प्रतिबद्धता के साथ निर्वहन कर रही है। ‘प्रकृतो रक्षति रक्षितः’ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति की सुरक्षा एवं संरक्षण करने वाले की प्रकृति रक्षा करती है। प्रकृति की सुरक्षा और संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों से कई गुना अधिक प्रकृति वापस लौटाती है। भारतीय संस्कृति प्रकृति के संरक्षण के प्रति सदैव संवेदनशील रही है।

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मुख्यमंत्री  ने कहा कि भारतीय संस्कृति में धरती को माता कहा जाता है। धरती के मातृत्व गुणों के कारण ही इसे माता के रूप में मान्यता प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में मांगलिक कार्यक्रमों में शान्तिपाठ में प्रकृति की रक्षा एवं संरक्षण के लिए आहवान किया जाता है। उपनिषद भी इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि इस सृष्टि मंे जो कुछ भी उपलब्ध है, उसका उतना ही उपभोग करना चाहिए जितनी हमारी आवश्यकता है। इस संतुलन के बिगड़ने से विपरीत प्रभाव सम्पूर्ण प्राणि जगत पर पड़ता है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री  की प्रेरणा और मार्गदर्शन में प्राकृतिक संरक्षण के लिए अनेक कदम उठाए हैं। वर्ष 2017 में प्रदेश में वर्तमान सरकार के बनने पर एनटी के आदेशों का पालन करते हुए अवैध बूचड़खानों को बन्द करा दिया गया। यह बूचड़खाने बीमारी का कारण बनते थे। देश और प्रदेश में 10 करोड़ परिवारों को स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत जोड़ा गया है। प्रदेश में 2017 के बाद 02 करोड़ 61 लाख परिवारों को व्यक्तिगत शौचालय प्रदान किये गये। वर्तमान में प्रत्येक प्रदेश के 59 हजार ग्राम पंचायतों में एक-एक सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है, जिससे उस गांव में कहीं गन्दगी न होने पाए।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एन00टी0 के आदेशों का पालन करते हुए साॅलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट पर विशेष ध्यान दिया है। पहले के समय में गांवों में खाद के गड्ढों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सालिड वेस्ट मैनेजमेण्ट के पुरातन तरीकों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने गांवों में आबादी से दूर खाद के गड्ढों को बनाये जाने की व्यवस्था की है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि उत्तर प्रदेश पर प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा है। प्रदेश की भूमि दुनिया से सबसे उर्वरा भूमि है। साथ ही, दुनिया मंे सबसे अच्छा जलसंसाधन भी उपलब्ध है। वर्ष 2017 में प्रदेश सरकार के बनने पर उत्तर प्रदेश के 823 विकासखण्ड में 256 डार्क जोन में थे। डार्क जोन से उबारने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा विशेष अभियान चलाए गए। इस क्रम में प्लास्टिक को बैन किया गया। देश के अन्दर प्लास्टिक को बैन करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य था।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि राज्य सरकार ने माटी कला बोर्ड का गठन किया गया। माटी कला बोर्ड के तहत कुम्हारी कला को आगे बढ़ाने के लिए कुम्भकारों को माह अप्रैल से माह जून तक तालाब से निःशुल्क मिट्टी निकालने की सुविधा दी गयी है। इससे तालाब जल संरक्षण के लिए तैयार हो गये। इसके साथ ही, प्लास्टिक और थर्माकोल के बर्तनों के विकल्प के रूप में मिट्टी के बर्तन भी उपलब्ध हुए। कुम्भकारों को तकनीक से जोड़ने के लिए परम्परागत चाक की जगह पर सोलर व इलेक्ट्रिक चाक प्रदान किया गया। राज्य सरकार को इस योजना के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक वर्ष 01 से 07 जुलाई तक वन महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसके तहत प्रदेश सरकार द्वारा वृक्षारोपण हेतु सभी विभागों के समन्वय से कार्यवाही की गयी। पहले वर्ष साढ़े पांच करोड़ वृक्ष, दूसरे वर्ष 11 करोड़ वृक्ष, तीसरे वर्ष 22 करोड़, चैथे वर्ष 25 करोड़ से अधिक और पांचवे वर्ष 30 करोड़ से अधिक वृक्षारोपण किया गया। वृक्षारोपण महा महोत्सव में यूकेलिप्टस, पापुलर के स्थान पर पीपल, पाकड़, नीम, जामुन, अर्जुन, आंवला जैसे पौधों की नर्सरी तैयार कराकर रोपने को वरीयता दी गयी।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना एवं मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत लाभान्वित 43 लाख परिवारों को सहजन का पेड़ लगाकार आवास प्रदान किये गये हैं। सहजन के पौधे से सब् के रूप में प्रोटीन और मिनरल पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 05 वर्ष में 100 करोड़ पेड़ लगाने के साथ ही, 100 वर्ष पुराने वृक्षों को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। बाराबंकी जनपद में 5,000 वर्ष पुराना एक हेरिटेज वृक्ष मौजूद है। दुधवा नेशनल पार्क ईको टूरिजम का एक बड़ा पार्क है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि ग्लोबल वाॅर्मिंग सृष्टि के लिए खतरनाक है। जलवायु परिवर्तन कई प्रकार की बीमारियों का कारण भी है। जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में एनटी द्वारा विशेष गाइड लाइन, चेतावनी तथा निर्देश जारी किए जाते हैं। भारत दुनिया में जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे नम्बर पर होने के बावजूद प्रदूषण के प्रसार में काफी पीछे है। यह देखने में आ रहा है कि प्रकृति के नजदीक रहने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रहती है। कोरोना कालखण्ड के दौरान इसका उदाहरण देखने को मिला। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या अमेरिका की जनसंख्या से चार गुना होने के बावजूद कोरोना कालखण्ड के दौरान अमेरिका में कोरोना से होने वाली मौतें भारत की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा थी। यह कहीं न कहीं प्रकृति के साथ समन्वय के लिए प्रेरित करता है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि उत्तर प्रदेश में वृक्षारोपण अभियान का उद्देश्य प्रकृति का संरक्षण करना है। इसी को ध्यान में रखते हुए पांच वर्ष में 100 करोड़ वृक्षारोपण किया गया। इससे प्रदेश में वनाच्छादन बढ़ा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नमामि गंगा परियोजना के तहत गंगा की अविरलता एवं निर्मलता को बढ़ाया जा रहा है। कानपुर में गंगा की निर्मलता को बढ़ाने के लिए सीवर पर प्रतिबन्ध लगाकर उसे सेल्फी प्वाइंट के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप कानपुर में गंगा में जलीय वों की संख्या में वृद्धि हुई है। वर्तमान में गंगा  में गांगेय डाॅल्फिन की संख्या में भी वृद्धि हुई है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रधानमंत्री  की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से प्रदेश में जनवरी, 2020 में दो गंगा यात्राएं निकाली गई। पहली बिजनौर से कानपुर तक, दूसरी बलिया से कानपुर तक। यह यात्राएं थल और जल मार्ग से निकाली गयी थीं। इस यात्रा का उद्देश्य गंगा  की अविरलता व निर्ममला को बढ़ावा देने के लिए जन जागरूकता पैदा करना था। इसके तहत कवि सम्मेलनों, गोष्ठियों इत्यादि के माध्यम से लोगों को जोड़कर गंगा  को निर्मल करने के लिए प्रेरित किया गया। इसके साथ ही, माँ गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में किसानों के साथ बैठक करके उन्हें गौ आधारित जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया गया। इस हेतु कानपुर में जैविक और प्राकृतिक खेती से सम्बन्धित विशेष प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को आमंत्रित कर गौ आधारित खेती के सम्बन्ध में उनके अनुभव से भी किसानों को अवगत कराया गया।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि इस अवसर पर किसानों को आर्गेनिक पद्धति से फलदार वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित किया गया। किसानों को फलदार वृक्ष के लगाने एवं उसके उत्पादन करने पर प्रदेश सरकार द्वारा 03 वर्ष तक कुछ धनराशि प्रदान करने की व्यवस्था की गयी है। साथ ही, गंगा के तटीय क्षेत्रों में किसानों को आर्गेनिक पद्धति से खेती करने पर सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने की व्यवस्था है। इसका परिणाम यह रहा कि गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में किसानों द्वारा जैविक ढंग से खेती की जा रही है और पीपल, पाकड़, बरगद जैसे पेड़ लगाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रदेश में जल संरक्षण के लिये अनेक कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं। इसके साथ ही प्रदेश में रिन्युवल एनर् के उत्पादन मंे निरन्तर वृद्धि हो रही है। वर्ष 2017 में प्रदेश में ढाई सौ मेगावाॅट सोलर एनर् का उत्पादन होता था। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 2,000 मेगावाॅट सोलर एनर् का उत्पादन हो रहा है। मार्च, 2022 तक इसमें 1,000 मेगावाॅट की वृद्धि का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में एक भी ऐसा शहर नहीं था, जहां एलईडी स्ट्रीट लाइट हो। वर्तमान में प्रदेश के नगरों में 16 लाख से अधिक एलईडी स्ट्रीट लाइट क्रियाशील हैं। इसके माध्यम से कार्बन उत्सर्जन कम किया गया है। साथ ही, बिजली की खपत को भी कम किया गया है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रदेश में 04 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब का वितरण किया गया है। प्रदेश के अन्दर प्रत्येक घर में बिजली की खपत कम हो, लोगों का एलईडी बल्ब की ओर रुझान बढ़े इसलिए एलईडी बल्ब का वितरण किया गया है। उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत 1.56 करोड़ गरीब परिवारों को निःशुल्क रसोई गैस का कनेक्शन प्रदान किया गया। दिमागी बुखार से प्रभावित 38 जनपदों में इससे हो रही मृत्यु में स्वच्छ भारत मिशन एवं जल वन मिशन के माध्यम से 95 प्रतिशत की कमी आयी है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रधानमंत्री  ने वाराणसी में एक नया कार्यक्रम गोबर धन योजना लाॅन्च किया है। प्रदेश के निराश्रित गोआश्रय स्थलों में 06 लाख गोवंश हैं। निराश्रित गोआश्रय स्थलों से प्राप्त गोबर तथा गांव के लोगों से एम0ओ0यू0 के माध्यम से गोबर की प्राप्ति करके गोबर गैस के माध्यम से सी0एन00 का उत्पादन किया जाएगा। इसके माध्यम से गांव वालों को गोबर के बदले धनराशि की प्राप्ति होगी। साथ ही, प्रदेश में सी0एन00 के उत्पादन में भी वृद्धि होगी। इससे गोवंश की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि गोरखपुर के  गोरक्षनाथ मंदिर में भी गोबर गैस का प्रयोग किया जाता है।

मुख्यमंत्री  ने बायोफ्यूल के क्षेत्र में बेहतर प्रयास की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि विभिन्न विभागों के मध्य बेहतर अंतर्विभागीय समन्वय से इस क्षेत्र में भी अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। जल वन मिशन के तहत हर घर नल योजना बुन्देलखण्ड और विन्ध्य क्षेत्र के 09 जनपदों में लागू की गई है। प्रदेश सरकार का प्रयास होगा कि दिसम्बर, 2021 तक इस क्षेत्र के प्रत्येक घर तक नल से जल प्रदान किया जा सके। यहां पर बड़े-बड़े जलाशयों के माध्यम से इस कार्यक्रम को लागू किया जा रहा है। साथ ही, प्रदेश में दिसम्बर तक 50 हजार गांवों में इस योजना को लागू किया जाएगा। जल वन मिशन के अंतर्गत जल संरक्षण के साथ-साथ पानी की एक-एक बूंद को बचाने का प्रयास भी किया जाएगा।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा जंगल के बीच में बसे गांव के लोगों का पुनर्वास करने के साथ ही उनको संरक्षण भी प्रदान किया जा रहा है, जिससे वन्य वों एवं मानव के संघर्षों को रोका जा सके। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज यहां 03 ईको पर्यटन सर्किट को लाॅन्च किया गया है। इनमें आगरा-चम्बल सर्किट, वाराणसी-चन्द्रकांता सर्किट तथा गोरखपुर-सोहगीबरवा सर्किट पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। इनके माध्यम से पर्यटकों को प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक वातावरण प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य एकांगी नहीं है। मनुष्य के समान ही प्रकृति का भी एक वन चक्र होता है। सृष्टि के वन चक्र का मनुष्य एक पाठ है। प्रकृति के वन चक्र में वन, पर्यावरण, मनुष्य, व-जन्तु सभी आते हैं। पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से ही जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।

इस अवसर पर केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री  अश्विनी कुमार चैबे ने कहा कि भारत हमेशा से ही प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहा है। भारत में प्राचीनकाल से ही प्रकृति को देव तुल्य माना जाता रहा है। भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में सादा वन उच्च विचार के कारण ही प्रकृति का दोहन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री  ने देश व दुनिया में जलवायु परिवर्तन की दिशा में कई अच्छे कार्य किए हैं। उन्हें वर्ष 2018 में चैम्पियन आॅफ द अर्थ का पुरस्कार प्राप्त हुआ था। यह पुरस्कार पर्यावरण के प्रति भारत की प्रकृति के प्रति चिन्तन को दर्शाता है।

इस अवसर पर प्रदेश के पर्यावरण एवं वन मंत्री  दारा सिंह चैहान ने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में पर्यावरण के प्रति वैज्ञानिक सोच थी। पीपल एवं अन्य पेड़ों को लगाने एवं उसे बचाने के प्रति लोग गम्भीर थे। प्रदेश में मुख्यमंत्री  के नेतृत्व में विगत पांच वर्षों में 100 करोड़ पेड़ लगाए गए। इन पेड़ों को बचाने के लिए भी पारदर्शी तरीके से थर्ड पार्टी माॅनीटरिंग की जा रही है। प्रदेश में वृक्षारोपण में वृद्धि करने के लिए जनान्दोलन के रूप में ‘वन मैन वन ट्री’ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री  के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में ‘जल है तो वन है, वन हैं तो हम हैं’ कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।

इस अवसर पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण के चेयरमैन न्यायमूर्ति  आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित यह सम्मेलन प्राकृतिक संरक्षण की एक अनोखी पहल है।

अपर मुख्य सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग  मनोज सिंह ने कहा कि जैसा विदित है कि सम्पूर्ण विश्व जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव को देख रहा है, जिससे अनियमित मौसम, बढ़ते तापमान, प्रचण्ड लू, बाढ़ एवं भूस्खलन की घटनाओं की आवृत्ति दिखायी पड़ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस पूरे इवेन्ट को कार्बन न्यूट्रल बनाने हेतु जापान की मियावाकी पद्धति से वृक्षारोपण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में 11 तकनीकी सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।

इस अवसर पर विधि एवं न्याय मंत्री  ब्रजेश पाठक, वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री  अनिल शर्मा, मुख्य सचिव  आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह  अवनीश कुमार अवस्थी, ताइवान के राजदूत  बाउशन गैर, उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष  जे0पी0एस0 राठौर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

Tags: climate change conclavecm yogigoogle newsHindi SamacharLucknow Newsup government newsYogi News
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