Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

कक्षा में पहुंचा देश का पहला कम्‍युनिकेशन सैटेलाइट, संचार प्रणाली को मिलेगी मजबूती

ISRO

Covid-19 ने थामी ISRO की रफ्तार, चंद्रयान-3 और गगनयान मिशन में हो सकती है देरी

नई दिल्‍ली। कुछ दिनों पहले इसरो ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से पीएसएलवी-सी50 रॉकेट के जरिये अपनी संचार सैटेलाईट सीएमएस-01 प्रक्षेपित किया। पीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल 52वीं बार हुआ। सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो का यह 77वां लांच मिशन था। पीएसएलवी एक ऐसी उन्नत प्रक्षेपण प्रणाली है, जिसे भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा अपने उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया गया है।

नेकां नेताओं की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दे रहा है जम्मू-कश्मीर प्रशासन : उमर अब्दुल्ला

सीएमएस-01 को मोबाइल फोन से लेकर टीवी तक के सिग्नलों के स्तर को सुधारने के लिए तैयार किया गया है, जो भारत के जमीनी इलाकों के अलावा अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप को भी कवर करेगा। इसने 11 जुलाई, 2011 को लांच किए गए संचार उपग्रह जीसैट-12 का स्थान लिया है, जो आगामी सात वर्षो तक एक्सटेंडेड सी-बैंड फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्रम में अपनी बेहतर सेवाएं देता रहेगा। बहरहाल कोरोना की वजह से प्रभावित हुए अपने मिशनों को पूरा करने में इसरो अब जी-जान से जुटा है। इसरो को आने वाले समय में चंद्रयान-3, आदित्य एल-1 उपग्रह, भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान और स्मॉल रॉकेट स्मॉल सेटेलाइट लांच व्हीकल का प्रक्षेपण करना है।

लव जिहादः अब मध्यप्रदेश में भी सख्त कानून को हरी झंडी, होगी 10 साल की जेल

इससे पहले इसरो ने अपने भू-निगरानी उपग्रह का नाम ‘ईओएस’ रखा था और अब संचार उपग्रह का नामकरण ‘सीएमएस’ किया गया है। वह भारत के पहले स्टार्टअप (पिक्ससेल) निर्मित भू-निगरानी उपग्रह को लेकर अंतरिक्ष में जाएगा। इसके साथ स्पेसकिड्ज टीम के तहत छात्रों द्वारा निर्मित संचार उपग्रह और तीन विश्वविद्यालयों के समूह द्वारा निर्मित एक अन्य उपग्रह को भी लेकर जाएगा। जीसैट-12 की मिशन अवधि आठ वर्ष की थी, जो पूरी हो चुकी है। ‘सीएमएस-01’ पहला ऐसा संचार उपग्रह है, जिसे इसरो ने इस नई उपग्रह नामकरण योजना के तहत कक्षा में स्थापित किया है।

नीतीश कैबिनेट में 103 नए नगर पंचायत और 8 नए नगर परिषद के निर्माण को मंजूरी

यह एक चार चरण/इंजन वाला ऐसा रॉकेट है, जो ठोस तथा तरल ईंधन द्वारा वैकल्पिक रूप से छह बूस्टर मोटर्स के साथ संचालित किया जाता है। पीएसएलवी छोटे आकार के उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा में भी भेज सकने में सक्षम है। सीएमएस-01 को पृथ्वी की कक्षा में 42164 किलोमीटर के सबसे दूरस्थ बिंदु पर स्थापित किया गया है। इसके जरिये सी-बैंड फ्रीक्वेंसी को मजबूती मिलेगी।

Exit mobile version