भारत के लिए शनिवार 7 अगस्त का दिन गौरवान्वित करने वाला और खुशियों से भरा रहा. पूरे देश को इस पल का इंतजार था. टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने इतिहास रचा और 100 साल में पहली बार ओलंपिक में भारत को ट्रैक एंड फील्ड का गोल्ड मेडल दिलाया. करीब 13 साल के बाद ओलंपिक में भारत का राष्ट्रगान जब बजा, तो करोड़ों देशवासी भावुक हो गए.
हरियाणा के पानीपत के रहने वाले ‘आर्मी मैन’ नीरज चोपड़ा ने जैवेलिन थ्रो में गोल्ड जीता. यह टोक्यो ओलंपिक में भारत का पहला और व्यक्तिगत स्पर्धा में ओलंपिक गेम्स का ओवरऑल दूसरा स्वर्ण पदक है. उनसे पहले शूटर अभिनव बिंद्रा ने 2008 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था. नीरज ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद तिरंगा लेकर मैदान का चक्कर लगाया और इसका जश्न मनाया.
121 साल बाद एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा ने भारत को दिलाया गोल्ड मेडल
नीरज चोपड़ा एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं. नीरज चोपड़ा ने फाइनल मुकाबले में 87.58 मीटर दूर भाला फेंक सोने का तमगा हासिल किया. फाइनल में कोई भी एथलीट नीरज चोपड़ा के आसपास नजर नहीं आया. नीरज चोपड़ा एकलौते खिलाड़ी रहे जिनका थ्रो 87 मीटर से ऊपर रहा. चेक रिपब्लिक के जाकुब वैडेलीच 86.67 मीटर और वितेस्लाव वेसली 85.44 मीटर की दूरी के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे.
भारतीय सेना में कार्यरत नीरज को ओलंपिक से पहले ही पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था और यह 23 वर्षीय एथलीट उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरा. क्वालीफिकेशन में अपने पहले प्रयास में उन्होंने 86.59 मीटर भाला फेंककर शीर्ष पर रहकर फाइनल में जगह बनाई थी. फाइनल में उन्होंने पहले प्रयास में 87.03 मीटर भाला फेंका था और वह शुरू से ही पहले स्थान पर चल रहे थे. भारत ने पहली बार एंटवर्प ओलंपिक में एथलेटिक्स में भाग लिया था लेकिन तब से लेकर रियो 2016 तक उसका कोई एथलीट पदक नहीं जीत पाया था.