नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने भरोसा जताया है कि लॉकडाउन में ढील के बाद आगामी दिनों में खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आएगी। उन्होंने कहा कि आपूर्ति की दिक्कतों की वजह से मुद्रास्फीति बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 6.93 प्रतिशत हो गई है। मुख्य रूप से सब्जियों, दालों, मांस और मछली के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है। हालांकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में 0.58 प्रतिशत घटी है।
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सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘यदि आप मुद्रास्फीति को देखें, तो यह मुख्य रूप से आपूर्ति पक्ष की दिक्कतों की वजह से है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन में ढील के बाद ये बाधाएं दूर होंगी। कुल मिलाकर थोक और खुदरा मुद्रास्फीति में अंतर आपूर्ति पक्ष के कारकों की वजह से है। ये दिक्कतें आगे दूर होंगी। ऐसे में खुदरा मुद्रास्फीति भी नरम पड़ेगी।’’
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इस तरह की आशंका जताई जा रही है कि साल की शेष अवधि में खुदरा मुद्रास्फीति ऊपरी स्तर पर बनी रहेगी। इससे रिजर्व बैंक के पास नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश नहीं रहेगी।
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रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति को 31 मार्च, 2021 तक वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया गया है। हालांकि, अभी तक खुदरा मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे में रही है। सिर्फ जुलाई में यह इसके पार गई है। जून में खुदरा मुद्रास्फीति 6।09 प्रतिशत पर थी। वहीं दूसरी ओर थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में शून्य से 1।81 प्रतिशत नीचे रही है। मई में यह शून्य से 3.37 प्रतिशत और अप्रैल में शून्य से 1.57 प्रतिशत नीचे थी।