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इसरो और कामयाबी अब एक दूसरे के पर्याय बने

इसरो ISRO

ISRO

सियाराम पांडेय ‘शांत’

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो और कामयाबी अब एक दूसरे के पर्याय हो चुके हैं। आजादी के बाद निर्मित हुए तमाम संस्थाओं और संगठनों में इसरो एक ऐसा संगठन है, जिसके नाम से ही हिदुस्तानियों और हिंदुस्तान को गर्व महसूस होता है। दुनिया में अंतरिक्ष के क्षेत्र में शानदार कामयाबी हासिल करने वाले 7-8 और संगठन हैं। लेकिन इसरो उन सबमें अलग और अनूठा है। इसरो जिस बजट में चंद्रयान और मंगलयान जैसे विश्वव्यापी ध्यान खींचने वाले कामयाब मिशन पूरे कर लेता है, उतने बजट में तो नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी, अपनी प्रोजेक्ट योजनाएं बनाते हैं। ऐसे महान संगठन के महानवैज्ञानिकों को सलाम।

देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक हालात कैसे भी हों, इसरो के वैज्ञानिक इस सबसे अप्रभावित रहते हुए लगातार कामयाबी के परचम फहराते रहते हैं। 28 फरवरी 2021 उनकी एक और कामयाबी का दिन था। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी पीएसएनवी-सी 51 से 19 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया। 1 घंटा, 55 मिनट और 7 सेकंड वाली इस प्रक्षेपण उड़ान में इसरो का ‘सिंधु नेत्र और ब्राजील का अमेजोनिया-1 प्रमुख उपग्रह थे। इसके अलावा इसरो के साल 2021 के इस पहले प्रक्षेपण मिशन में,जो कि पूरी तरह से कमर्शियल मिशन था, 13 सैटेलाइट अमेरिका के थे। इस महत्वपूर्ण प्रक्षेपण मिशन के जरिये यहां भारत सिंधु नेत्र से अपनी समुद्री जल सीमा में दुश्मन पर निगाह रखेगा, वहीं ब्राजील अपने अमेजोनिया-1 के जरिये अमेजन नदी के उन जंगलों पर नजदीकी रखेगा, जो दुनिया के फेफड़े कहे जाते हैं।

इसरो के इस सफल प्रक्षेपण के साथ ही उसके द्वारा दूसरे देशों के लांच किए गये सैटेलाइटों की संख्या बढ़कर 342 हो गई है। साल 2017 में जब इसरो ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स लांच करके एक नया इतिहास रचा था, तभी से दुनिया हिंदुस्तान को बहुत संभावनाओं के नजर से देख रही थी बल्कि उसके भी पहले जब साल 2016 में इसरो ने एक साथ 20 उपग्रह प्रक्षेपित किये थे, तभी से दुनिया भारत को अंतरिक्ष का महत्वपूर्ण खिलाड़ी मानने लगी थी। गुजरे महज साढ़े चार सालों में अब इसरो ने भारत को अंतरिक्ष का सुपर पावर बना दिया है।

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हालांकि इस समय एक साथ सबसे ज्यादा उपग्रह प्रक्षेपित करने का विश्व रिकर्ड एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के पास है। 25 जनवरी 2021 को स्पेस एक्स ने एक साथ 143 उपग्रह लांच किये थे। लेकिन तीन साल तक सबसे ज्यादा एक साथ उपग्रह लांच करने का विश्व रिकर्ड भारत के पास रहा। उसके पहले यह रूस के नाम था, जिसने 2014 में एक अभियान में 37 उपग्रहों को लांच किया था। माना जा रहा है कि आज प्रक्षेपण का वैश्विक बाजार 300 बिलियन डॉलर का है और भारत आने वाले दिनों में इसमें अच्छी खासी हिस्सेदारी कर सकता है।

गौरतलब है कि अब तक भारत 36 देशों के कुल 342 उपग्रह लांच कर चुका है। दुनिया के दूसरे देशों में जहां एक उपग्रह लांच करने का करीब 400 से 500 करोड़ रु पये खर्च होते हैं, वहीं भारत 180 से 200 करोड़ रु पये तक में एक सैटेलाइट लांच कर लेता है। अगर एक साथ कई सैटेलाइट लांच करने हों तो लागत कम हो जाती है। भारत ने अब तक दुनिया के जिन देशों के सैटेलाइट अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है, उनमें अमरीका, जर्मनी, यूरोप के अन्य कई देश और इजरायल जैसे विकसित देश शामिल हैं तो गूगल और एयरबस जैसी बड़ी कारपोरेट कंपनियां भी शामिल हैं।

प्रक्षेपण के बाजार में भारत की संभावनाएं इसीलिए दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा हैं, क्योंकि अमरीका की तुलना में भारत से किसी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने का खर्चा करीब 60-65 फीसदी कम होता है। इस तरह देखें तो मोटे तौर पर हम अमरीका के मुकाबले महज एक तिहाई खर्च में किसी भी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर सकते हैं। इस क्षेत्र में सिर्फ चीन ही हमारा बड़ा प्रतिद्वंदी हो सकता है, क्योंकि भारत की तरह चीन में भी न केवल श्रम काफी सस्ता है बल्कि चीन के पास प्रक्षेपण की संसधानीय क्षमता भारत से करीब 4 गुना ज्यादा है, लेकिन एक मामले में चीन हमसे पीछे है, वह है प्रक्षेपण के बाजार में हमारी साख। बावजूद इसके यह भी सही है कि हम तभी चीन को इस मामले में कड़ी टक्कर दे सकते हैं, जब हम छोटे उपग्रहों के साथ चीन की तरह बड़े साइज के उपग्रहों को भी प्रक्षेपित करें।

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