नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने पहली बार जोशीमठ (Joshimath) की भूगर्भीय हलचल (भू-धंसाव) की सैटेलाइट तस्वीर जारी की हैं। इसरो ने जो ताजा रिपोर्ट जारी की है उसके अनुसार पिछले 12 दिनों में जोशीमठ तकरीबन 5.4 सेंटीमीटर नीचे धंस चुका है। यह प्रारंभिक तस्वीरें काटरेसैट-2एस सैटेलाइट से ली गई हैं। जोशीमठ समुद्र तल से करीब 6000 फीट की ऊंचाई पर बसा है। यह धार्मिक, एतिहासिक और सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। जोशीमठ भूकंप जोन 5 में वर्गीकृत है।
इसरो की इन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि जोशीमठ (Joshimath) का कौन सा हिस्सा धंसने वाला है। इसरो ने अपने सैटेलाइट से जोशीमठ की आपदा का जायजा लिया है। इसकी तस्वीरें डराने वाली हैं। इन तस्वीरों पर पीला रंग सेंसेटिव जोन है। इस पीले घेरे में पूरा शहर आता है। इसरो ने आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर की तस्वीर भी जारी की है।
सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रही लाल रंग की धारियां सड़कें हैं। नीले रंग का घेरा जोशीमठ के नीचे का ड्रेनेज सिस्टम है। जोशीमठ के मध्य भाग को लाल रंग के गोले में दशार्या गया है। यह सबसे ज्यादा भू-धंसाव प्रभावित है। इस धंसाव का ऊपर हिस्सा जोशीमठ औली रोड पर मौजूद है।
उल्लेखनीय है कि जोशीमठ में इस समय हाहाकार मचा हुआ है। केंद्र और उत्तराखंड सरकार लोगों को पहले सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर रही है। यहां का बड़ा इलाका असुरक्षित घोषित किया गया है।
बता दें कि जोशीमठ में जमीन धंसने की शुरुआत 2 जनवरी से शुरू हुई है। इसरो ने कहा कि क्राउन ऑफ सब्सिडेंस 20180 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ-औली रोड के पास स्थित है। यहां पर अप्रैल 2022 से जमीन धंसनी शुरू हुई है। यहां 7 महीने के भीतर 9 सेंटीमीटर तक जमीन धंसी है। पहले जोशीमठ को मंदिरों के धंसने के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह बड़े पैमानी पर लोगों के घर और सड़क पर भी पहुंच गई है। जिसकी वजह से लोगों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है। अमित शाह ने गुरुवार को नितिन गडकरी, आरके सिंह, भूपेंद्र यादव और गजेंद्र सिंह शेखावत समेत शीर्ष अधिकारियों के साथ इस मसले पर बैठक की और इसकी समीक्षा की।