Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

ISRO का GSAT-24 हुआ लॉंच, TATA को होगा सबसे बड़ा फायदा

GSAT-24

GSAT-24

नई दिल्ली। भारत का नया कम्युनिकेशन सेटेलाइट जीसैट-24 सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया है। इस सेटेलाइट को इसरो ने न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NewSpace India Limited – NSIL) के लिए तैयार किया था जिसे साउथ अमेरिका के फ्रेंच गुयाना स्थित कोउरू से फ्रेंच कंपनी एरियानेस्पेस की मदद से लॉन्च किया गया है। जीसैट-24 एक 24-Ku बैंड कम्युनिकेशन सेटेलाइट (Communication Satellite) है जिसका वज़न 4,180 किलोग्राम या चार टन है।

GSAT-24 की लॉन्चिंग में देरी

हालांकि सेटेलाइट को 50 मिनट की देरी से लॉन्च किया गया। GSAT-24 को स्पेस ऑर्बिट में भारतीय समयानुसार 23 जून की सुबह 2:30am से 4:13am के बीच पहुंचाना था। इससे पहले ही 2:28 बजे लॉन्चिंग टीम ने अतिरिक्त चेकिंग के लिए लॉन्चिंग रोक दी और गड़बड़ी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।

बाद में बताया गया कि टैंक्स की फिलिंग में कुछ विसंगतियों की वजह से लॉन्चिंग में देरी हुई और सेटेलाइट को भारतीय समयानुसार सुबह 3:20 बजे लॉन्च किया गया। इस सेटेलाइट की मदद से डीटीएच संबंधी ज़रूरतें पूरी होंगी जो पूरे भारत को कवरेज मुहैया कराएगा। इसकी मदद से पूरे भारत को हाई-क्वालिटी टेलिविज़न, टेलिकम्युनिकेशंस और ब्रोडकास्टिंग सर्विस मिल सकेगी।

फ्रेंच गुयाना से लॉन्च किया गया GSAT-24

स्पेस क्षेत्र में रिफॉर्म के बाद एनएसआईएल का यह पहला कम्युनिकेशन सेटेलाइट मिशन था जिसे पहली बार में पहली सफलता मिली है। डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस के तहत एनएसआइएल एक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग – पीएसयू है जिसकी मदद से स्पेस क्षेत्र में भारत को बढ़ावा देना है। GSAT-24 सेटेलाइट को Ariane-V VA257 फ्लाइट की मदद से ऑर्बिट स्पेस में पहुंचाया गया।

मौसम ने बदला मिजाज, इन राज्यों में हो सकती है झमाझम बारिश

टाटा प्ले को दी लीज़ पर

ग़ौरतलब है कि एनएसआइएल ने अपनी पूरी सेटेलाइट केपेसिटी टाटा प्ले (Tata Sky) को लीज़ पर दी है और GSAT-24 पहली समर्पित कॉमर्शियल सेटेलाइट है। वहीं GSAT-24 की व्यवसायिक आधार पर पूरी फंडिंग और इसके रखरखाव की ज़िम्मेदारी एनएसआइएल के हाथों में होगी।

सेटेलाइट को भारत में ही बनाया गया है और प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद इसे Antonov AN-124 की मदद से लॉन्चिंग के लिए फ्रेंच गुयाना पहुंचाना था – लेकिन एंटोनोव के नहीं मिलने की वजह से कंपनी को भारतीय वायुसेना की दो C-17 विमानों का इस्तेमाल करना पड़ा। एक विमान में सेटेलाइट और दूसरे विमान में लॉन्चिंग के लिए ग्राउंट सपोर्ट इक्वीपमेंट को ट्रांसपोर्ट किया गया था।

Exit mobile version