आचार्य चाणक्य विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। अपने जीवन की बड़ी से बड़ी समस्याओं को भी उन्होंने अपनी बुद्धि के बल पर आसानी से पार कर लिया। उनकी कूटनीति और रजानीति की अच्छी समझ के कारण ही इतनी कम उम्र में ही चंद्रगुप्त को उन्होंने शासक के रूप में स्थापित किया। आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र की रचना भी की, जिसके कारण वे कौटिल्य कहलाए।
चाणक्य ने कई शास्त्र लिखे जिनमें से नीति शास्त्र बहुत लोकप्रिय है। नीति शास्त्र में चाणक्य नें अपने ज्ञान और अनुभव को पिरोया है। उन्होंने मनुष्य के जीवन से संबंधित बहुत सी बातों के बारे में नीति शास्त्र में उल्लेख किया है। चाणक्य कि शिक्षाएं आज के समय में भी बहुत महत्व रखती हैं। नीतिशास्त्र में चाणक्य ने कुछ लोगों से दूर होने में ही भलाई बताई। अन्यथा मनुष्य को नुकसान का सामना करना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं किस तरह के लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुराचारी व्यक्ति, दुष्टस्वभाव वाले मनुष्य से हमेशा दूर रहना चाहिए। ऐसा व्यक्ति बिना किसी कारण दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाला होता है। इस तरह के व्यक्ति से मित्रता रखने वाला अगर श्रेष्ठ पुरुष भी हो तो भी वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। चाणक्य कहते है कि संगति का प्रभाव अवश्य होता है, इसलिए दुर्जनों से दूर रहना ही सही रहता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट और सांप में से अच्छा है कि सांप के चुना जाए, क्योंकि सर्प के विष के बारे में हमें पता होता है और वह एक ही बार डंसता है, लेकिन दुष्ट हर समय नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार रहता है। दुर्जन व्यक्ति के मुख पर मृदुलता का भाव होता है और उसकी वाणी चंदन के जैसे ठंडी होती है परंतु ऐसे लोगों के मन में दुर्भावनाएं होती हैं। दुर्जनों से सदैव बचकर रहना चाहिए।
मित्र के रूप में छिपा हुआ शत्रु बहुत ही खतरनाक होता है। ऐसा व्यक्ति खीर में मिले विष के समान होता है। जो खाने में तो मीठी होती है परंतु उससे आपके प्राण जा सकते हैं। ऐसे लोगों के बारे में पता लगते ही तुरंत दूरी बना लेनी चाहिए, अन्यथा आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।