भारत समेत दुनिया के कई देशों में जहां भगवान श्रीकृष्ण के भक्त हैं, वहां आज जन्माष्टमी (Janmashtami ) का त्योहार मनाया जा रहा है। इस अवसर पर मथुरा-वृंदावन से लेकर देश के विभिन्न राज्यों में सुबह से मंदिरों में जमाष्टमी के उत्सव की पूरी तैयारी की जा चुकी है और चारों ओर हरे रामा-हरे कृष्णा के जयकारे गूंज रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण दिवस को इस बार 7 सितंबर को मनाया जा रहा है। वहीं, करोड़ों भक्तों ने इस पावन उत्सव पर व्रत रखा हुआ है। ऐसे में उनको हम जन्माष्टमी (Janmashtami ) का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में बताने वाले हैं।
शुभ मुहूर्त
पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि 12 बजे हुआ था। ऐसे में जन्माष्टमी (Janmashtami )पर भगवान कृष्ण की पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त रात 12 बजे ही माना जाता है। 7 सितंबर की रात 12 बजते ही भगवान की विधिवत पूजा कर सकते हैं। वहीं, व्रत के पारण समय शुक्रवार, 8 सितंबर को सुबह 6 बजकर 2 मिनट के बाद रहेगा।
मूर्ति स्थापना
जन्माष्टमी के अवसर पर सामान्यत: बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। मनोकामना के आधार पर भगवान के स्वरूप को स्थापित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। संतान के लिए बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें, धन प्राप्ति के लिए कामधेनु गाय के साथ विराजमान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं।
भगवान का श्रृंगार
भगवान श्रीकृष्ण के श्रृंगार में फूलों का अधिक प्रयोग करें। पीले रंग के वस्त्र और चंदन की सुगंध से भगवान का श्रृंगार करें। काले रंग का प्रयोग बिल्कुल न करें। वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित करें तो सर्वोत्तम होगा।
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पूजन विधि
जन्माष्टमी (Janmashtami ) पर सुबह-सुबह स्नानादि करके साफ-सुथरे वस्त्र कपड़े पहनें और पूजा के बाद व्रत का संकल्प लें। व्रत जलाहार या फलाहार रख सकते हैं। दिनभर सात्विक रहें और मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखकर दूध, दही, शहद, शर्करा और घी से स्नान कराएं। इस स्नान को “पंचामृत स्नान” कहते हैं। इसके बाद बाल गोपाल को जल से स्नान कराएं। इस बात कर जरूर ध्यान रखें कि ये सभी चीजें शंख में डालकर ही अर्पित की जाएंगी। इसके बाद पीताम्बर, पुष्प और माखन मिश्री के प्रसाद का भोग लगाएं। फिर भगवान को झूले में बैठाकर झुलाएं।
खीरे से कराएं बाल गोपाल का जन्म
जन्म के समय जिस प्रकार बच्चे को गर्भनाल काटकर गर्भाशय से अलग किया जाता है उसी प्रकार जन्माष्टमी पर खीरे का डंठल काटकर कान्हा का जन्म कराने की परंपरा है। खीरा काटने का अर्थ है बाल गोपाल को मां देवकी के गर्भ से अलग करना है। खीरे से डंठल को काटने की प्रक्रिया को नाल छेदन कहा जाता है। जन्माष्टमी की रात डंठल और हल्की सी पत्तियों वाले खीरे को कान्हा की पूजा में उपयोग करें। रात के 12 बजते ही खीरे के डंठल को किसी सिक्के से काटकर कान्हा का जन्म कराएं। इसके बाद शंख बजाकर बाल गोपाल के आने का उत्सव मनाएं।
विशेष उपाय
स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के उपाय के लिए जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण का पंचामृत और जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान को लाल वस्त्र अर्पित करें। उन्हें 27 बार झूला झुलाएं और चढ़ाया गया पंचामृत प्रसाद की तरह ग्रहण करें।
आर्थिक समस्याओं के लिए उपाय भगवान कृष्ण का सुगन्धित जल से अभिषेक करें। उन्हें गुलाबी रंग के वस्त्र अर्पित करें। उन्हें 9 बार झूला झुलाएं। चढ़ाया गया सुगन्धित जल पूरे घर में छिड़क दें।
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रोजगार और नौकरी से जुड़ी समस्याओं के उपाय के लिए भगवान कृष्ण को सफ़ेद चन्दन और जल अर्पित करें। उन्हें गुलाब के फूलों की माला चढाएं, चमकदार सफेद रंग के वस्त्र पहनाएं। उन्हें 18 बार झूला झुलाएं। चढ़ाई गई माला अपने पास सहेजकर रख लें। सफेद चंदन का तिलक लगाते रहें।
संतान प्राप्ति के लिए भगवान कृष्ण का पंचामृत से अभिषेक करें। भगवान को पीले वस्त्र और पीले फूल अर्पित करें। उन्हें माखन मिसरी का भोग लगाएं और 27 बार झूला झुलाएं। “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” का 11 माला जाप करें। चढ़ाया गया पंचामृत प्रसाद की तरह ग्रहण करें।