हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami ) मनाई जाती है। मान्यता है कि जन्माष्टमी पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही भक्तों के जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से निसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है।
इस बार जन्माष्टमी (Janmashtami ) का त्योहार 6 सितंबर 2023, बुधवार के दिन मनाया जाने वाला है। मान्यता के अनुसार, इस दिन श्रीकृष्ण की 5250 वीं जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस बार की जन्माष्टमी काफी महत्वपूर्ण होने वाली है। आइए, जानें जन्माष्टमी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
जन्माष्टमी (Janmashtami ) शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी (Janmashtami ) तिथि 6 सितंबर 2024 के दिन बुधवार को दोपहर 03.37 बजे से शुरू होगी। ये तिथि 7 सितंबर 2023 के दिन शाम 04.14 बजे समाप्त होगी। वहीं, जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त रात्रि 12.02 बजे से लेकर 12.48 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना की जाती है। विधि-विधान से पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस मान्यता के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले 6 सितंबर को जन्मोत्सव मनाएंगे। इस दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है।
इस तरह करें पूजा
जन्माष्टमी (Janmashtami ) व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारण व्रत की पूर्ति होती है। इस व्रत के एक दिन पहले यानी सप्तमी के दिन हल्का और सात्विक भोजन ही करना चाहिए। व्रत वाले दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करें।
पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठ जाएं। हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें। मध्यान्ह के समय काले तिल का जल छिड़क कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएं। अब इस सूतिका गृह में सुंदर सा बिछौना बिछाकर उस पर कलश स्थापित करें।
भगवान कृष्ण और माता देवकी जी की मूर्ति या सुंदर चित्र स्थापित करें। देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी का नाम लेते हुए विधिवत पूजन करें। यह व्रत रात 12 बजे के बाद ही खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता। फलाहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा खा सकते हैं।