नयी दिल्ली। साहित्य और भारतीय भाषाओं बढ़ावा देने के काम में उल्लेखनीय योगदान नौ प्रतिष्ठित रचनाधर्मियों को इंडिया टुडे समूह ने ‘आजतक साहित्य जागृति सम्मान’ (Aajtak Sahitya Jagriti Samman) से सम्मानित किया गया है।
राजधानी में वार्षिक साहित्य आजतक कार्यक्रमों के एक भव्य समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आठ श्रेणियों के तहत कुल नौ रचनाकारों को यह सम्मान प्रदान किया।
आयोजनकर्ताओं की ओर से मंगलवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार जीवन भर की साहित्य सेवाओं के सम्मान के प्रतीक के तौर पर आजतक साहित्य जागृति लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड लेखक, गीतकार, कवि और पद्मश्री, पद्म भूषण से सम्मानित जावेद अख़्तर को दिया गया। सम्मान के रूप में उन्हें 11 लाख रुपए की सम्मान राशि और स्मृति चिह्न प्रदान किया गया।
आजतक साहित्य जागृति (Aajtak Sahitya Jagriti Samman) सर्वश्रेष्ठ रचना लेखक सम्मान डॉक्टर ज्ञान चतुर्वेदी को उनके उपन्यास ‘स्वांग’ के लिए दिया गया। साहित्य जागृति सर्वश्रेष्ठ रचना लेखिका सम्मान की विजेता जानी-मानी उपन्यासकार, कहानीकार नासिरा शर्मा रहीं। उनके उपन्यास ‘अल्फा बीटा गामा’ के लिए यह सम्मान दिया गया।
आजतक साहित्य जागृति (Aajtak Sahitya Jagriti Samman) के अंतर्गत भारतीय भाषा के लिए सम्मान तेलुगु रचनाकार डॉ मधुरांतकम नरेंद्र को उनके उपन्यास ‘मनोधर्मपरागम’ के लिए, लोकप्रिय लेखक सम्मान अमीश त्रिपाठी को उनके रामचंद्र सीरीज के उपन्यास ‘द वार ऑफ लंका’ के लिए दिया गया. इस सम्मान के तहत इन विजेताओं को एक-एक लाख रुपए की सम्मान राशि और स्मृति चिह्न प्रदान किया गया.
बयान के अनुसार इस वर्ष उदीयमान रचनाकारों को भी तीन श्रेणियों में यह सम्मान दिया गया। ‘आजतक साहित्य जागृति भारतीय भाषा प्रतिभा सम्मान’ तौसीफ़ बरेलवी को उनके उर्दू कहानी संग्रह ‘ज़हन ज़ाद’ के लिए, तो ‘आजतक साहित्य जागृति उदीयमान लेखक सम्मान डॉक्टर किंशुक गुप्ता को उनके कहानी संग्रह ‘ये दिल है कि चोर दरवाजा’ के लिए दिया गया। इस श्रेणी में विजेताओं को 50000- 50000 रुपए की सम्मान राशि और स्मृति चिह्न प्रदान किया गया।
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आजतक साहित्य जागृति उदीयमान लेखिका सम्मान इस साल दो रचनाकारों रश्मि भारद्वाज और अनुराधा बेनीवाल को संयुक्त रूप से दिया गया। रश्मि को उनके उपन्यास ‘वह साल बयालिस था’ तथा अनुराधा को उनके यात्रा-संस्मरण ‘लोग जो मुझमें रह गए’ के लिए यह सम्मान मिला।
आजतक के न्यूज डायरेक्टर सुप्रिय प्रसाद ने बताया कि पुरास्कारों का निर्णय छह सदस्यीय निर्णायक मंडल ने सर्वसम्माति से किया। इसमें प्रसाद के साथ सौरभ द्विवेदी, श्वेता सिंह, चंदन राय, राजकिशोर और संजीव पालीवाल शामिल थे।