देहारादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी (CM Dhami) ने शुक्रवार को एक हाई लेवल बैठक में जोशीमठ (Joshimath) में सैकड़ों घरों में दरारें आने की चिंता के बीच एक बड़ा अस्थाई पुनर्वास केंद्र तुरंत सुरक्षित स्थान पर स्थापित करने का आदेश दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय बैठक के दौरान डेंजर जोन को तुरंत खाली कराने और आपदा नियंत्रण कक्ष को सक्रिय किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। ये बैठक ऐसे समय में हुई है जब जोशीमठ में 500 से अधिक मकानों में दरारें आने के बाद कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। सरकार ने यह भी घोषणा की है कि मुख्यमंत्री राहत कोष से अगले छह महीनों के लिए सभी प्रभावित परिवारों को 4,000 रुपये दिए जाएंगे।
6 महीने तक सरकार देगी किराया
बैठक के बाद जोशीमठ क्षेत्र के प्रभावितों के लिए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने 6 महीने तक प्रभावित परिवारों को किराया देने का ऐलान किया है। अधिकारियों के मुताबिक जिन लोगों के घर खतरे की जद में हैं या रहने योग्य नहीं है, उन्हें अगले 6 महीने तक किराए के मकान में रहने के लिए ₹4000 प्रति परिवार सहायता दी जाएगी। ये सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान की जाएगी।
500 से अधिक मकानों में आई दरार
बता दें कि अब तक 500 से ज्यादा घरों में दरार आ चुकी है। कई परिवारों को शिफ्ट किया गया है। वहीं कई लगो खुद ही घर छोड़ कर चले गए हैं। पूरा शहर सहमा हुआ है। वहीं स्पेशल टीम पूरे मामले का जायजा ले रही है। और एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस सुरक्षा बल को अलर्ट मोड पर रखा गया है। प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंची भूगर्भीय टीम और आपदा प्रबंधन ने बताया कि लगातार प्रशासन की टीम मौके पर निरीक्षण कर रही है। अब तक 50 से अधिक परिवारों को शिफ्ट कर दिया गया है। सरकार की पहली प्राथमिकता लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रखना है। जिसको लेकर प्रशासन हर संभव मदद कर रहा है।लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है।
रोका गया एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट का काम
एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल के अंदर का कार्य भी पूरी तरह से रोक दिया गया है। समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने बीआरओ के अन्तर्गत निर्मित हेलंग बाईपास निर्माण कार्य, एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य एवं नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यो पर अग्रिम आदेशों तक तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन भी अगले आदेश तक रोक दिया गया है।
रिपोर्ट में पहले ही जताई गई थी धंसाव की आशंका
जोशीमठ पर पैदा हुआ संकट मामूली नहीं है। भूगर्भीय रूप से ये शहर काफी संवेदनशील है और सिस्मिक जोन 5 के अंदर आता है। इस शहर में हो रहे धंसाव की आशंका पहले ही पैदा हो गई थी और सरकार की विशेषज्ञों की टीम ने एक रिपोर्ट भी तैयार की थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि जोशीमठ में बेतरतीब निर्माण, पानी का रिसाव, ऊपरी मिट्टी का कटाव और दूसरे कई कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट पैदा हुई है। भूगर्भीय रूप से संवेदनशील ये शहर पूर्व-पश्चिम में चलने वाली रिज पर मौजूद है। शहर के ठीक नीचे विष्णुप्रयाग के दक्षिण-पश्चिम में, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों का संगम है। ऐसे में नदी से होने वाला कटाव भी इस भू-धंसाव के लिए जिम्मेदार है। उसके बाद सरकार ने योजना बनाई है कि जोशीमठ में हो रहे धंसाव को रोकने के लिए अस्थाई सुरक्षा कार्य किये जाएंगे।