नई दिल्ली। दिल्ली के विज्ञान भवन में हाई कोर्ट्स के चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन शुरू हो गया है।कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने टेक्नोलॉजी पर खासा जोर दिया। पीएम (PM Modi) ने कहा कि डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। न्याय (Justice) की देरी कम करने की कोशिश की जा रही हैं। बुनियादी सुविधाओं को पूरा किया जा रहा है। कोर्ट में वैकेंसी भरने की प्रोसेस चल रही है। न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक के रूप में है।
न्याय जनता से जुड़ा जाना होना चाहिए : PM Modi
मोदी (PM Modi) ने कहा कि बड़ी आबादी न्यायिक प्रक्रिया और फैसलों को नहीं समझ पाती, इसलिए न्याय जनता से जुड़ा जाना होना चाहिए। जनता की भाषा में होना चाहिए। आम लोगों को लोकभाषा और सामान्य भाषा में कानून समझने से न्याय के दरवाजे नहीं खटखटाने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि साझा सम्मेलन से नए विचार आते हैं। आज ये सम्मेलन आजादी के अमृत महोत्सव पर हो रहा है। कार्यपालिका और न्यायपालिका मिलकर देश के नए सपनों के भविष्य को गढ़ रहे हैं। हमें देश की आजादी के शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए सबके लिए सरल, सुलभ, शीघ्र न्याय के नए आयाम खोलने गढ़ने की ओर आगे बढ़ना चाहिए।
Addressing the Joint Conference of Chief Ministers and Chief Justices of High Courts. https://t.co/P1jsj2N1td
— Narendra Modi (@narendramodi) April 30, 2022
अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए : PM Modi
पीएम मोदी ने बताया कि जिला अदालत से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खाली पदों को भरने का काम तेजी से आगे बढ़ा है। न्यायपालिका में तकनीकी संभावनाओं को मिशन मोड में आगे बढ़ा रहे हैं। बुनियादी आईटी ढांचा भी मजबूत किया जा रहा है। कुछ साल पहले डिजिटल क्रांति को असंभव माना जाता था। फिर शहरों में ही इसकी संभावना जताई गई। लेकिन अब गांवों में देश के कुल डिजिटल लेने-देन का 40% गांवों में ही हुए हैं। हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए। इससे देश के आम नागरिकों का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा।
PM मोदी ने राज्य सरकारों से की अपील, कहा- पेट्रोल-डीजल पर कम करें VAT
ई कोर्ट परियोजना मिशन मोड में लागू : PM Modi
मोदी ने कहा कि भारत सरकार न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी को डिजिटल इंडिया मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा मानती है। ई-कोर्ट परियोजना आज मिशन मोड में लागू की जा रही है। हम न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हम न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए भी काम कर रहे हैं।
लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए: सीजेआई
कार्यक्रम में CJI एनवी रमना ने कहा कि हमें ‘लक्ष्मण रेखा’ का ध्यान रखना चाहिए, अगर यह कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी। यदि नगरपालिकाएं, ग्राम पंचायतें कर्तव्यों का पालन करती हैं, यदि पुलिस ठीक से जांच करती है और अवैध हिरासत में टॉर्चर समाप्त होता है तो लोगों को अदालतों की ओर देखने की जरूरत नहीं है।
CJI रमना ने कहा कि संबंधित लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को शामिल करते हुए गहन बहस और चर्चा के बाद कानून बनाया जाना चाहिए। अक्सर अधिकारियों के नॉन परफॉर्मेंस और विधायिकाओं की निष्क्रियता के कारण मुकदमेबाजी होती है जो टालने योग्य होती है।
जनहित याचिका को व्यक्तिगत हित याचिका में बदल दिया
सीजेआई रमना ने कहा कि जनहित याचिका (पीआईएल) के पीछे अच्छे इरादों का दुरुपयोग किया जाता है, क्योंकि इसे परियोजनाओं को रोकने और सार्वजनिक प्राधिकरणों को आतंकित करने के लिए ‘व्यक्तिगत हित याचिका’ में बदल दिया गया है। यह राजनीतिक और कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्वियों के साथ स्कोर तय करने का एक साधन बन गया है।
बता दें कि ये सम्मेलन सरकार और न्यायपालिका के बीच एक तरह से पुल माना जाता है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना मौजूद हैं। दरअसल, न्यायिक प्रणाली आधुनिक और सक्षम होती जा रही है। इससे सबको सुगम, सुलभ और शीघ्र न्याय मिल रहा है। हाईकोर्ट्स ने भी बहुत बड़ी भूमिका अदा की है।