कल्याण सिंह ने अपने 77वें जन्मदिवस को उत्तर प्रदेश को नयी पार्टी का बिल्कुल नया तोहफा दिया था। उन्होंने राष्ट्रवादी जनक्रांति के गठन की घोषणा की और उसका अध्यक्ष अपने बेटे राजवीर सिंह को बनाया था। लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित आवास पर उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर इस बात की मीडिया को जानकारी दी थी।
वर्ष 1999 में कल्याण सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से झगड़ा करके नई पार्टी बनाई थी तब उन्होंने राम मंदिर मुद्दे को तिलांजलि दे दी थी। इस बीच वह एक बार भारतीय जनता पार्टी में वापस गए थे और दो बार उन्होंने मुलायम सिंह यादव की पार्टी से हाथ मिलाया था।
भाजपा से नाता तोड़ने के बाद कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी की स्थापना की थी। फिर कल्याण सिंह के भाजपा में वापसी के बाद सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज ने पार्टी की कमान संभाली। इसी दौरान फिर कल्याण सिंह भाजपा से अलग हुए और राष्ट्रवादी जनक्रांति पार्टी का गठन किया।
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पिछले दिनों साक्षी महाराज के भाजपा में जाने के बाद राष्ट्रीय क्रांति पार्टी में फिर नेतृत्व का संकट उत्पन्न हो गया। ऐसे में माना जा रहा था कि अब पार्टी का भाजपा में विलय हो जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बुलंदशहर के वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र सिंह लोधी को राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत कर लिया गया था।
बाद में राजबीर सिंह ने कहा कि प्रखर हिंदुत्ववाद और प्रखर राष्ट्रवाद जन क्रांति पार्टी की विचारधारा होगा। गांव, गरीब किसान और झुग्गी-झोपड़ी का उत्थान उनका मुख्य कार्यक्रम होगा।मुलायम सिंह का साथ छोड़ने के बारे में राजबीर सिंह ने कहा था कि लव मैरेज हुई थी, तलाक हो गया। वर्ष 2007 का विधान सभा चुनाव भाजपा उनके नेतृत्व में लड़ी। फिर उन्होंने मुलायम सिंह से हाथ मिलाया और समाजवादी पार्टी के समर्थन से 2009 में एटा से लोक सभा चुनाव जीता।