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रोहिंग्या के बयान से कर्नाटक सरकार पलटी, SC में दायर किया हलफनामा

Desk by Desk
30/10/2021
in ख़ास खबर, नई दिल्ली, राजनीति, राष्ट्रीय
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नई दिल्ली। कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने रोहिंग्या मामले पर बदला हुआ हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है। नए हलफनामे में कहा गया है कि, कोर्ट इस मसले पर जो भी आदेश देगा उसका पालन किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले कर्नाटक सरकार ने रोहिंग्या को वापस भेजने की मांग वाली याचिका का विरोध किया था। यह भी कहा था कि उन्हें वापस भेजने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।

राज्य में 126 रोहिंग्या- कर्नाटक सरकार

नए हलफनामे में कर्नाटक सरकार का कहना है कि, कर्नाटक में रह रहे 126 रोहिंग्या लोगों की पहचान की गई है। पुलिस ने उन्हें न तो किसी कैंप या आश्रय स्थल में रखा है, न ही किसी डिटेंशन सेंटर में। इन्हें वापस भेजने की मांग पर कोर्ट का जो भी आदेश होगा, राज्य सरकार उसका पूरी तरह पालन करेगी। पिछले हलफनामे में बंगलुरु में 72 रोहिंग्याओं की मौजूदगी की बात कह गई थी। अब यह संख्या भी बढ़ गई है। दाखिल करने वाले अधिकारी भी बदल गए हैं। पिछला हलफनामा डीजीपी कार्यालय में नियुक्त एक इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी का था। नया हलफनामा राज्य के गृह विभाग के एक अंडर सेक्रेट्री का है।

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क्या है मामला?

दरअसल, बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। याचिका में मांग की गई थी कि भारत में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या लोगों की पहचान की जाए और उन्हें 1 साल के भीतर वापस भेजा जाए। केंद्र और अधिकतर राज्य सरकार अभी तक इस याचिका पर जवाब नहीं दिया है। 25 अक्टूबर को कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि याचिका कानूनी और तथ्यात्मक, दोनों आधारों पर गलत है। इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। इस स्टैंड पर हुई खिंचाई के बाद अब बदला हुआ हलफनामा दाखिल किया गया है।

वहीं, अश्विनी उपाध्याय की याचिका में देश में अवैध तरीके से प्रवेश को लेकर बने कानूनों को और सख्त किए जाने की मांग भी की गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि भारत में अवैध तरीके से आने वाले लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज बनाने को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध घोषित किया जाना चाहिए।

Tags: bjpkarnatakakarnataka governmentRohingyasSupreme Court
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