ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए रत्न (Gems) बताए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी रत्न (Gems) को धारण करने से पहले कुछ नियमों का जानना जरूरी होता है, वरना धन हानि की आशंका रहती है। कहते हैं कि रत्न धारण करने से पहले नियमों का ध्यान नहीं रखने से ग्रहों का दुष्प्रभाव और बढ़ सकता है।
जानें रत्नों (Gems) को धारण करते समय ज्योतिष शास्त्र में बताए गए नियम-
- किसी भी रत्न (Gems) को खरीदने के लिए किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य की मदद लेनी चाहिए। रत्न हमेशा असली खरीदना चाहिए।
- एक बार रत्न धारण करने के बाद उसे बार-बार निकालने से बचना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से रत्न का प्रभाव कम हो जाता है।
- किसी भी खंडित रत्न को धारण नहीं करना चाहिए। अगर रत्न का रंग उतर गया है तो भी उसे निकाल देना चाहिए।
- रत्न धारण करते समय उसका त्वचा से स्पर्श होना जरूरी होता है। मान्यता है कि तभी रत्न का लाभ मिलता है।
- रत्न धारण करते समय मंत्रों का शुद्ध उच्चारण कर उसे धारण करना चाहिए।
- किसी दूसरे का रत्न धारण नहीं करना चाहिए और न ही उसे दूसरे को पहनने देना चाहिए।
- रत्न को हमेशा उससे संबंधित धातु में ही पहनना चाहिए। ऐसा करने से धातु का भी शुभ प्रभाव मिलता है।
- ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, नीलम व हीरा व्यक्ति को सूट नहीं करता है, इसलिए इन्हें ज्योतिष सलाह के बाद ही पहनना चाहिए।
- रत्न हमेशा ज्योतिषाचार्य की सलाह के बाद ही खरीदना चाहिए। रत्न के वजन का भी ध्यान रखना चाहिए।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या, ग्रहण और संक्रान्ति के दिन भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए।