चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ (Maa Durga Saptashati) करना भी विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। ऐसी कहा जाता है कि नवरात्रि में रोजाना दुर्गा सप्तशती पढ़ने से मां प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति को धन-धान्य, मान-सम्मान और सौभाग्य का आशीर्वाद देती है। लेकिन दुर्गा सप्तशती पढ़ने का पूरा लाभ आपको मिले, इसके लिए कुछ जरूरी बातों और नियमों का ध्यान रखना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती पढ़ते वक्त इन नियमों का रखे ध्यान
- दुर्गा सप्तशती का पाठ (Maa Durga Saptashati) करने के दौरान शुद्धता (Purity) का पालन करना बेहद जरूरी है। इसलिए स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहकर ही पाठ करें। कुशा के आसन या ऊन के बने आसन पर बैठकर ही पाठ करें। साथ ही पाठ करते वक्त हाथों से पैर का स्पर्श न करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले पुस्तक को लाल कपड़े पर रखकर उस पर अक्षत और फूल चढ़ाएं। पूजा करने के बाद ही किताब पढ़ना शुरू करें।
- नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र ”ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे” का जाप करना (Mantra jaap) जरूरी होता है।
- दुर्गा सप्तशती के पाठ में एक-एक शब्द का उच्चारण साफ और स्पष्ट होना चाहिए। इसमें शब्दों को उल्टा-पुल्टा न बोलें और ना ही शब्दों का हेर-फेर करें। सप्तशती पढ़ते वक्त बहुत जोर से या धीरे से पाठ ना करें। इस तरह करें कि आपको एक-एक शब्द स्पष्ट सुनाई दे।
- अगर संस्कृत भाषा में दुर्गा सप्तशती के पाठ का उच्चारण करने में कठिनाई हो रही हो तो इसे हिंदी में किया जा सकता है। लेकिन जो भी पढ़ें उसे सही और स्पष्ट बोलें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करते वक्त जम्हाई नहीं लेनी चाहिए क्योंकि यह आलस को दर्शाता है। इसलिए मन को शांत और स्थिर करके ही पाठ शुरू करें।
- अगर किसी दिन आपके पास समय की कमी है और आप दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ नहीं कर सकते तो सप्तशती के आखिर में दिए गए कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें और देवी से अपनी पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें।