लाइफ़स्टाइल डेस्क। बाथरूम में चंद्रमा का वास बताया गया है। चंद्रमा मन और जल के कारक देवता हैं, ऐसे में चंद्रमा अगर सही हों तो इंसान के मन पर सकारात्मक असर पड़ता है। इसी प्रकार, अगर चंद्रमा अशुभ हों तो इंसान का मन व्यथित रहता है और अलगाव की तरफ बढ़ता है।
आधुनिक समय में जितने सुंदर भवनों का निर्माण हो रहा है, उससे भी अधिक बाथरूम की खूबसूरती पर ध्यान दिया जा रहा है। आप अधिकांश जगहों पर अटैच लैट्रिन-बाथरूम का चलन देखेंगे, जो कि काफी सुविधाजनक माना जाता है। हालाँकि वास्तु के अनुसार लैट्रिन बाथरूम को एक साथ बनाना उचित नहीं माना गया है और इससे वास्तु में कई प्रकार की हानियों की बात कही गई है।
वास्तु के अनुसार बाथरूम में चंद्रमा का वास बताया गया है। चंद्रमा मन और जल के कारक देवता हैं, ऐसे में चंद्रमा अगर सही हों तो इंसान के मन पर सकारात्मक असर पड़ता है। इसी प्रकार, अगर चंद्रमा अशुभ हों तो इंसान का मन व्यथित रहता है और अलगाव की तरफ बढ़ता है। वहीं टॉयलेट को लेकर वास्तु में कहा गया है कि इस में राहु का वास रहता है। राहु सीधे आपके मस्तिष्क में दोष उत्पन्न करता है, इसलिए चंद्रमा और राहु एक साथ जब भी आते हैं तो ग्रहण जैसे संयोग उत्पन्न होते हैं।
अटैच लैट्रिन बाथरुम को लेकर लाल किताब में कहा गया है कि लैट्रिन-बाथरूम को एक साथ बनाने से घर के अंदर रहने वाले लोगों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। तो वहीं लाल किताब में लैट्रिन को बेहद साफ सुथरा और स्वच्छ रखने की बात भी कही गई है।
शौचालय का निर्माण दक्षिण दिशा और दक्षिण-पश्चिम दिशा के मध्य में कराना उचित माना गया है। वहीं अगर आपने गलत दिशा में शौचालय या लैट्रिन का निर्माण करवाया है तो इसमें उत्पन्न हुए विकारों को दूर करने के लिए शौचालय के बाहर शिकार करते हुए शेर का चित्र लगाएं।