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जानिए कैसे होता है साधू-संतों का अंतिम संस्कार, ऐसे दी जाती है अंतिम विदाई

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को आज अंतिम विदाई दी जाएगी। कैसे होता है हिंदू धर्म के साधू और संतों का अंतिम संस्कार। किस तरीके से उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। आइए जानते हैं ये कैसे होता है।

नरेंद्र गिरि की अंतिम यात्रा प्रयागराज में होगी। संत परम्परा में अंतिम संस्कार उनके सम्प्रदाय के अनुसार ही तय होता है। वैष्णव संतों को ज्यादातर अग्नि संस्कार दिया जाता है, लेकिन सन्यासी परंपरा के संतों के लिए तीन संस्कार बताए गए हैं।

कौन से हैं तीन तरीके

इन तीन अंतिम संस्कारों में वैदिक तरीके से दाह संस्कार तो है ही इसके अलावा जल समाधि और भू-समाधि भी है। कई बार संन्यासी की अंतिम इच्छा के अनुसार उनकी देह को जंगलों में छोड़ दिया जाता है।

अब नहीं दी जाती जल समाधि

वृंदावन के प्रमुख संत देवरहा बाबा को जल समाधि दी गयी थी जबकि दूसरे अन्य कई संतों का अंतिम संस्कार भी इसी तरह हुआ। बाबा जयगुरुदेव को अंतिम विदाई दाह संस्कार के जरिए दी गई थी। हालांकि इस पर विवाद भी हो गया था। तब जयगुरुदेव आश्रम के प्रमुख अनुयायियों ने कहा था कि बाबा की इच्छा के अनुरूप ही वैदिक तरीके से उनका दाह संस्कार किया जा रहा है। रामायण, महाभारत और अन्य हिंदू पौराणिक ग्रंथों में भारतीय संतों को जल समाधि देने का ही जिक्र आता है।

साधु संतों को पहले आमतौर पर जलसमाधि ही दी जाती थी लेकिन नदियों के जल में प्रदूषण के बाद अब भू समाधि दी जाने लगी है।

अब दी जाती है भू-समाधि

संन्यासी परंपरा में जरूर जल या भू-समाधि देने की परिपाटी रही है, लेकिन वैष्णव मत में पहले भी कई बड़े संतों का अग्नि संस्कार किया गया है। वैसे आमतौर पर साधुओं को पहले जल समाधि दी जाती थी, लेकिन नदियों का जल प्रदूषित होने के चलते अब आमतौर पर उन्हें जमीन पर समाधि दी जाती है। नरेंद्र गिरि को प्रयागराज में ही पूजा – अर्चना के बाद उनके ही गुरु की समाधि के बगल में भू समाधि दी जाएगी।

भू समाधि में किस मुद्रा में बिठाया जाता है

भू समाधि में साधू को समाधि वाली स्थिति में बिठाकर ही उन्हें विदा दी जाती है। जिस मुद्रा में उन्हें बिठाया जाता है, उसे सिद्ध योग की मुद्रा कहा जाता है। आमतौर पर साधुओं को इसी मुद्रा में समाधि देते हैं। महंत नरेंद्र गिरि की समाधि भी इसी तरह होगी।

अघोरी साधु जीवित रहते हुए ही अपना अंतिम संस्कार कर देते हैं। अघोरी को साधु बनने की प्रक्रिया में सबसे पहले अपना अंतिम संस्कार करना होता है।

अघोरी साधुओं का अंतिम संस्कार कैसे होता है

अघोरी साधु जीवित रहते हुए ही अपना अंतिम संस्कार कर देते हैं। अघोरी को साधु बनने की प्रक्रिया में सबसे पहले अपना अंतिम संस्कार करना होता है। अघोरी पूरे तरीके से परिवार से दूर रहकर पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और इस वक्त ये अपने परिवार को भी त्याग देने का प्रण लेते हैं। अंतिम संस्कार के बाद ये परिजनों और बाकी दुनिया के लिए भी ये मृत हो जाते हैं।

अन्य धर्मों में क्या होता है

मुस्लिम धर्म में उनके धार्मिक शख्सियत के शव को सीधा लिटाकर दफनाया जाता है। ईसाई तौरतरीकों में भी पादरी, बिशप और अन्य धार्मिक लोगों के शव का जुलूस निकालकर उन्हें दफनाया जाता है। पारसियों में धार्मिक गुरुओं को उनके धर्म की परिपाटी की तरह एक खास छत पर खुला छोड़ दिया जाता है, जहां गिद्ध और चील उन्हें खाते हैं।

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