सनातन परंपरा में गोपाष्टमी (Gopashtami) का पर्व गोमाता के पूजन के लिए जाना जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को पड़ने वाला यह यह पर्व इस साल 20 नवंबर 2023 को पड़ेगा. हिंदू धर्म में गाय को बहुत ज्यादा पूजनीय माना गया है. मान्यता है कि गोमाता के शरीर में 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं. ऐसे में गोपूजन और गोसेवा करने पर न सिर्फ गोमाता बल्कि 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. गोपाष्टमी के दिन गाय और कान्हा की पूजा करने का क्या लाभ मिलता है और यह पूजा कब और कैसे करना चाहिए आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
गोपाष्टमी (Gopashtami) की पूजा का शुभ मुहूर्त
देश की राजधानी दिल्ली के पंचांग के अनुसार जिस कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि पर गोपाष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है वो इस साल 20 नवंबर 2023 को 05:21 बजे से प्रारंभ होकर 21 नवंबर 2023 को प्रात:काल 03:18 बजे तक रहेगी. ऐसे में गोपूजा को समर्पित गोपाष्टमी का पर्व 20 नवंबर को ही मनाया जाएगा.
गोपाष्टमी (Gopashtami) पर कैसे करें गाय की पूजा
गोपाष्टमी (Gopashtami) के पावन पर्व पर गोमाता की पूजा करने के लिए व्यक्ति को प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद गोमाता को प्रणाम करना चाहिए. इसके बाद गोमाता को शुद्ध जल से स्नान कराना चाहिए तथा उनके रहने के स्थान को भी साफ-सुथरा करना चाहिए. इसके बाद गोमाता को फूलों की माला, वस्त्र पहना कर रोली-चंदन आदि से तिलक करना चाहिए. इसके बाद गोमाता को फल, पकवान, आटे और गुड़ की भेली आदि खिलाना चाहिए. फिर गोमाता को धूप-दीप जलाकर उनकी आरती करें. हिंदू मान्यता के अनुसार गोपाष्टमी के पर्व पर गोमाता के साथ भगवान श्री कृष्ण का भी विधि-विधान से पूजन करना चाहिए.
गोपाष्टमी (Gopashtami) की पूजा का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार गाय माता की पूजा करने पर व्यक्ति को सुख-सौभाग्य के साथ आरोग्य की भी प्राप्ति होती है. मान्यता है कि जिस घर में गोमाता रहती हैं, उस घर से जुड़े वास्तु दोष अपने आप दूर हो जाते हैं और वहां पर कभी भी बुरी बलाएं प्रवेश नहीं करने पाती हैं. चूंकि भगवान श्री कृष्ण को गाय से बहुत ज्यादा प्रेम था, इसलिए गोमाता करने वाले व्यक्ति पर कान्हा की कृपा भी बरसती है. हिंदू मान्यता के अनुसार गोपाष्टमी पर्व पर गाय के साथ उसके बछड़े की भी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.