सनातन संस्कृति में शंख ( Shankh) को बहुत धार्मिक माना जाता है। उपयोग प्राचीन परंपराओं और उत्सवों में किया जाता है। धार्मिक और मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत शंखनाद से ही की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु को शंख अति प्रिय है। मान्यता है कि शंख बजाने से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शंख बजाने के कुछ नियम हैं जिनका ख्याल हमें रखना चाहिए। इन नियमों का पालन करके ही हम शंख की ध्वनि का लाभ ले सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।
शंख ( Shankh) से जुड़े नियम
1.शंख ( Shankh) को बजाने से पूर्व उसे गंगाजल से शुद्ध अवश्य करें।आप घर के पूजा स्थल पर अगर शंख रखना चाहते हैं तो उसे हमेशा पूजा के लिए ही इस्तेमाल करें। यानि इस शंख से आप भगवान का अभिषेक करें। बजाने के लिए आप घर में एक अन्य शंख रख सकते हैं। लेकिन इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि पूजा घर में एक ही शंख हो। बजाने वाले शंख को किसी अन्य शुद्ध स्थान में रखें।
2.शंख ( Shankh) के जरिये भगवान शिव पर और सूर्य देव पर जल अर्पित न करें।
3.विष्णु भगवान का जलाभिषेक आप शंख ( Shankh) से कर सकते हैं।
4.अगर आप शंख ( Shankh) बजाते हैं तो उसे किसी दूसरे के पास कभी न दें।
5.शंख ( Shankh) बजाने के लिए सबसे शुभ समय, प्रात:काल और सूर्य ढलने से पहले का होता है।
6.पूजा वाले शंख ( Shankh) में हमेशा पानी भरकर रखना चाहिए।