लाइफ़स्टाइल डेस्क। अगले महीने 30 नवंबर को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। चंद्रमा को मन का कारण कहा जाता है इसलिए इसका सीधा असर व्यक्ति के मन पर पड़ेगा। साथ ही जब चंद्र ग्रहण ग्रसित होता है तब लोगों के मन में नकारात्मक विचार जरूर आते हैं। इस वर्ष 2020 के नवंबर महीने में आखिरी चंद्र ग्रहण लगने वाला है जो एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा।
इस वर्ष का यह आखिरी चंद्र ग्रहण वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र में होगा। ग्रहणकाल के दौरान हर किसी को अपने चंद्रमा को बलवान करके की कोशिश जरूर करनी चाहिए। इससे मन पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं आ पाएगा।
ज्योतिषाचार्य पं. दयानंद शास्त्री ने बताया कि व्यक्ति को अपने आपको शुद्ध और पवित्र बनाए रखना होगा। ग्रहणकाल के दौरान अपना और छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा सूतक काल ग्रहण लगना पहले ही शुरू हो जाता है। इस समय खाने पीने की मनाही होती है। ग्रहण के दौरान बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए। इसके अलावा न तो कुछ खाना चाहिए और न ही खाना बनाना चाहिए।
चंद्र ग्रहण तिथि:
- उपच्छाया से पहला स्पर्श 30 नवंबर 2020 की दोपहर 1 बजकर 04 मिनट पर
- परमग्रास चन्द्र ग्रहण 30 नवंबर 2020 की दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर
- उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श 30 नवंबर 2020 की शाम 5 बजकर 22 मिनट पर
चंद्र ग्रहण 2020 सूतक काल का समय:
- सूतक काल प्रारंभ- इस बार लगने वाले चंद्रग्रहण में सूतककाल मान्य नहीं होगा।
जानें क्या है उपच्छाया चंद्र ग्रहण:
ग्रहण से पहले चंद्रमा, पृथ्वी की परछाईं में प्रवेश करता है जिसे उपच्छाया कहते हैं। इसके बाद ही चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तब वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में जाए बिना, उसकी उपच्छाया से ही बाहर निकल आता है। जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपछाया मात्र ही पड़ती है, तब उपच्छाया चंद्र ग्रहण होता है। इसमें चंद्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं आता है। इसमें चंद्रमा पर एक धुंधली-सी छाया नजर आती है।
आयुर्वेद की दृष्टि से, ग्रहण से दो घंटे पहले हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के दौरान कुछ भी न खाएं और न ही पीएं।