हर साल ‘जगन्नाथ रथ यात्रा’ (Jagannath Yatra) धूमधाम से निकाली जाती है जिसमें शामिल होने देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं. जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के पुरी शहर में स्थित है. यह वैष्णव मंदिर श्रीहरि के पूर्ण अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है. पूरे साल इनकी पूजा मंदिर के गर्भगृह में होती है, लेकिन आषाढ़ माह में तीन किलोमीटर की अलौकिक रथ यात्रा (Jagannath Yatra) के जरिए इन्हें गुंडिचा मंदिर लाया जाता है.
रथ यात्रा (Jagannath Yatra) का महत्व
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर जाते हैं. रथ यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से तीन दिव्य रथों पर निकाली जाती हैं. सबसे आगे बलभद्र का रथ, उनके पीछे बहन सुभद्रा और सबसे पीछे जगन्नाथ का रथ होता है. इस साल जगन्नाथ यात्रा 19 जून से शुरू होगी और इसका समापन 20 जून को होगा.
क्यों निकाली जाती है रथ यात्रा (Jagannath Yatra)?
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई. तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी लाडली बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े. इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और यहां सात दिन ठहरे. तभी से जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है. नारद पुराण और ब्रह्म पुराण में भी इसका जिक्र है.