नई दिल्ली। दुनियाभर में मौजूदा समय पर 232 कोरोना वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें भी 172 वैक्सीन प्री-क्लीनिकल ट्रायल्स में हैं। यानी इन वैक्सीन की अभी लैब्स में ही टेस्टिंग चल रही है। वहीं, 60 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स में हैं। आम तौर पर क्लिनिकल ट्रायल्स में कई साल लग जाते हैं।
किसान अपने रुख पर कायम, फिर भी सरकार को ‘वार्ता’ से समाधान की उम्मीद
इस समय चीन की 4, रूस की 2, अमेरिका की 2 और ब्रिटेन की एक वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल/अप्रूवल मिल चुका है। इनमें सबसे नई वैक्सीन ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेक की कोवीशील्ड है, जिसे ब्रिटेन ने 30 दिसंबर को इमरजेंसी अप्रूवल दिया है। करीब 16 देशों में वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है। कोरोना को इमरजेंसी मानते हुए दुनिया में अब तक 9 वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल मिल चुका है।
पंजाब में मोबाइल टावरों को निशाना बनाने पर भड़का रिलायंस जियो
दुनियाभर में 7 वैक्सीन अब भी फेज-3 ट्रायल्स में हैं और उन्हें कहीं भी अप्रूवल नहीं मिला है। 20 वैक्सीन फेज-2 ट्रायल्स में हैं और 22 वैक्सीन पहले फेज के ह्यूमन ट्रायल्स में है। फाइजर की वैक्सीन को कम से कम 12 देशों में अप्रूवल मिल चुका है। फाइजर ने भारत में भी इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक ने भी अपने-अपने वैक्सीन के लिए इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। एक्सपर्ट कमेटी ने इन कंपनियों से और जानकारी मांगी है। 4 वैक्सीन के ट्रायल्स के नतीजे आए, चारों को मिला अप्रूवल
1. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी/एस्ट्राजेनेका
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर वैक्सीन (कोवीशील्ड) बनाई है। यह शुरुआती नतीजों में 90% तक असरदार पाई गई है। दुनिया की प्रमुख वैक्सीन प्रोडक्शन कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने 7 दिसंबर को भारत में कोवीशील्ड के इमरजेंसी अप्रूवल मांगा था। इस पर भारत की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने कोवीशील्ड से और डेटा देने को कहा है। ब्रिटेन में 30 दिसंबर को अप्रूवल मिलने के बाद भारत में भी इसे अप्रूवल मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
पंजाब में मोबाइल टावरों को निशाना बनाने पर भड़का रिलायंस जियो
2. फाइजर और बायोएनटेक
अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक की जॉइंट कोरोना वैक्सीन फेज-3 ट्रायल में 95% असरदार साबित हुई है। UK में इस वैक्सीन को 2 दिसंबर को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है। इसके बाद अब तक16 देशों ने इसे अप्रूवल दिया है। कई देशों में प्रायरिटी ग्रुप्स को वैक्सीनेट करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
3. मॉडर्ना (अमेरिका)
अमेरिका की बॉयोटेक कंपनी मॉडर्ना ने दावा किया है कि उसका बनाया वैक्सीन कोरोना के मरीजों को बचाने में 94.5% तक असरदार है। यह दावा लास्ट स्टेज क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों के आधार पर किया गया है। यह वैक्सीन 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में 30 दिन तक सुरक्षित रह सकती है। अमेरिका के ड्रग रेगुलेटर ने इस वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है। इससे अमेरिका में वैक्सीनेशन के लिए दो वैक्सीन उपलब्ध हो गई है। मॉडर्ना इस समय UK, अमेरिका और यूरोपीय संघ में भी अपनी वैक्सीन के लिए इमरजेंसी अप्रूवल हासिल करने के लिए कोशिश कर रही है।
बेल्जियम के कुत्तों को अब गलवान-सुल्तान जैसे नामों से पुकारेंगे जवान
4. गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट (रूस)
रूस में बनी वैक्सीन स्पूतनिक V ट्रायल के दौरान कोरोना से लड़ने में 95% असरदार साबित हुई है। क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे शुरुआती एनालिसिस में ये बात सामने आई है। पहला डोज देने के 28 दिन बाद इस वैक्सीन ने 91.4% इफेक्टिवनेस दिखाई थी। डॉ. रेड्डी’ज लैबोरेटरी के साथ रूसी संस्था का करार हुआ है और भारत में फेज-2/3 के कम्बाइंड ट्रायल्स शुरू हो गए हैं। रूस में प्रायरिटी के आधार पर वैक्सीनेशन शुरू किया गया है।
चीन में 4, रूस में 1 वैक्सीन को ट्रायल्स से पहले ही इमरजेंसी अप्रूवल
1. सिनोवेक (चीन)
चीन की प्राइवेट कंपनी सिनोवेक के इनएक्टिवेटेड वैक्सीन के फेज-1/2 ट्रायल्स के नतीजे जून में आए थे। उसके बाद कंपनी ने 743 वॉलेंटियर्स को ट्रायल्स में शामिल किया था और उनमें से किसी में भी गंभीर लक्षण नहीं दिखे। नवंबर में ही इस ट्रायल्स के नतीजे घोषित हुए। ब्राजील, इंडोनेशिया और तुर्की में अंतिम फेज के ट्रायल्स शुरू हुए। अब तक इसके नतीजे नहीं आए हैं।
2. वुहान कैंडिडेट
चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म ने वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स के साथ मिलकर यह वैक्सीन बनाया है। इसके फेज-1/2 ट्रायल्स के नतीजे अच्छे आए। फेज-3 ट्रायल्स पेरू, मोरक्को और UAE में शुरू हुए थे। सितंबर में UAE ने सिनोफार्म के वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया।
3. बीजिंग कैंडिडेट
बीजिंग इंस्टि्टयूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स की ओर से विकसित वैक्सीन को चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म मार्केट में उतारने की तैयारी में है। इसे भी चीन के साथ-साथ UAE में इमरजेंसी अप्रूवल मिल गया है।
4. कैनसिनो बायोलॉजिक्स
चीनी कंपनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने चीनी मिलिट्री के रिसर्च इंस्टिट्यूशन के साथ मिलकर वैक्सीन बनाया था। इसे चीन की मिलिट्री ने 25 जून को ही एक साल के लिए मंजूरी दे दी थी। उसके बाद कंपनी ने सऊदी अरब, पाकिस्तान और रूस में फेज-3 ट्रायल्स किए, लेकिन उसके नतीजों की घोषणा अब तक नहीं की है।
5. साइबेरिया का वेक्टर इंस्टिट्यूट
रूस ने 15 अक्टूबर को साइबेरिया के वेक्टर इंस्टिट्यूट के कोरोनावायरस वैक्सीन EpiVacCorona को इमरजेंसी अप्रूवल दिया था। शुरुआती स्टेज में प्लेसेबो-कंट्रोल्ड ह्यूमन ट्रायल्स में 100 वॉलेंटियर्स को यह वैक्सीन लगाई गई थी। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वैक्सीन से कम से कम छह महीने तक इंसान के शरीर में एंटीबॉडी रहती हैं।
भारत के स्वदेशी वैक्सीन समेत 5 वैक्सीन अंतिम दौर में
1. भारत बायोटेक का कोवैक्सिन (भारत)
भारत के लिए खास माने जा रहे स्वदेशी वैक्सीन- कोवैक्सिन का फेज-3 ट्रायल्स शुरू हो गए हैं। करीब 25 साइट्स पर यह ट्रायल्स हो रहे हैं। इस वैक्सीन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी (NIV) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर तैयार किया है। अब तक के ट्रायल्स में वैक्सीन प्रभावी रहा है, अब फेज-3 ट्रायल्स के नतीजों का इंतजार है।
2. जैनसेन फार्मा (अमेरिका)
अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की सब्सिडियरी जैनसेन फार्मा का इनएक्टिवेटेड वैक्सीन फेज-1/2 ट्रायल्स में असरदार साबित हुआ है। 60 हजार लोगों पर इसका अंतिम फेज का ट्रायल्स चल रहा है।
3. नोवावैक्स (अमेरिका)
अमेरिका की ही कंपनी नोवावैक्स के वैक्सीन का इंतजार भी अमेरिका में बेसब्री से हो रहा है। कंपनी ने पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग का करार किया है।
4. मेडिकार्गो (कनाडा)
कनाडा के ड्रग डेवलपर मेडिकार्गो ने भी फेज-2/3 कम्बाइंड ट्रायल्स शुरू किए हैं। शुरुआती स्टेज में कंपनी के वैक्सीन और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GSK) के वैक्सीन बूस्टर ने वायरस को खत्म करने वाले एंटीबॉडी बनाने में कामयाबी हासिल की है। मेडिकार्गो को मित्सुबिशी तनाबे फार्मा और टोबैको जायंट फिलिप मॉरिस का सपोर्ट मिला हुआ है।
5. अनहुई झिफेई लॉन्गकॉम बायोफार्म्सुयिटकल (चीन)
चोंगकिंग झिफेई बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स की एक यूनिट की ओर से विकसित वैक्सीन के ट्रायल्स की शुरुआत जून में ही हो गई थी। इस वैक्सीन को अनहुई झिफेई लॉन्गकॉम बायोफार्मास्युटिकल्स और चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस ने बनाया है।