उन्नाव में पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर से जुड़े प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के चाचा की धोखाधड़ी व कूटरचना के मामले में जमानत खारिज कर दी है। वह हाईकोर्ट लखनऊ से जमानत पर था। हालांकि वह अन्य मामले में तिहाड़ जेल में पहले से ही बंद है।
दुष्कर्म पीड़िता के चाचा ने वर्ष 2000 में दर्ज हत्या के प्रयास के मुकदमे में न्यायालय के दस्तावेजों में सफेदा लगाकर खुद पर चल रहे गैंगस्टर के अन्य मुकदमे में लाभ लिया था। जानकारी पर जिला जज के आदेश पर 2019 में न्यायालय के रिकार्ड कीपर ने सदर कोतवाली में धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इस मामले में चाचा के परिजनों ने जमानत के लिए जिला न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी। अर्जी खारिज होने पर हाईकोर्ट लखनऊ की शरण ली थी। इस पर 23 मई 2020 को हाईकोर्ट ने उसे जमानत दी थी। जमानत मंजूर होने के फैसले के खिलाफ पूर्व विधायक पक्ष से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से मिली जमानत सोमवार को खारिज कर दी।
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यह है पूरा मामला
पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के छोटे भाई जयदीप सिंह उर्फ अतुल सिंह ने जून 2000 में ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान दुष्कर्म पीड़िता के पिता व दो चाचा के खिलाफ माखी थाने में हत्या के प्रयास की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मुकदमे की सुनवाई के बाद चार अक्तूबर 2004 को न्यायाधीश ने किशोरी के पिता (अब मृतक) और छोटे चाचा (अब मृतक) को दोषमुक्त कर दिया था।
तीसरा आरोपी (किशोरी का चाचा) फरार था। नवंबर 2018 को इसी मुकदमे में फरार चल रहे किशोरी के चाचा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। माखी पुलिस ने 14 साल से न्यायालय से फरार किशोरी के चाचा को दिल्ली से गिरफ्तार कर जेल भेजा था। चाचा को दस साल की सजा हुई है। इसी मामले में न्यायालय के दस्तावेजों में सफेदा लगाकर कूट रचना कर गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में लाभ लिया था।