हिंदू धर्म शास्त्रों में कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti) बड़ी ही विशेष मानी जाती है। हिदूं धर्म शास्त्रों के अनुसार, ये दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। जब भगवान सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं, तब ये पर्व मानाया जाता है। इस दिन गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करने की पंरपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti) के दिन जो भी भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं और उनका पूजन करते हैं उनको मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। साथ ही भगवान सूर्य से आरोग्यता का वरदान भी मिलता है। कुंभ संक्रांति पर भगवान सूर्य के पूजन से करियर में सफलता प्राप्त होती है। कुंभ संक्रांति के दिन पूरे भक्ति भाव से भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर उनका पूजन करना चाहिए। इस दिन अर्घ्य देते समय भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप बड़ा लाभकारी माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय उनके किन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti) कब है ?
इस साल भगवान सूर्य 12 फरवरी को मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, 12 फरवरी को रात 10 बजकर 3 मिनट पर भगवान सूर्य मकर से कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, इस साल कुंभ संक्रांति 13 फरवरी को मनाई जाएगी।
कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti) पर पुण्य और महा पुण्य काल
हिंदू पंचांग के अनुसार, कुंभ संक्राति के दिन पुण्य काल की शुरुआत दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से होगी। पुण्य काल का समापन शाम 6 बजकर 10 मिनट पर हो जाएगा। इस दिन महा पुण्य काल की शुरुआत शाम 4 बजकर 19 मिनट से होगी। महा पुण्यकाल का समापन शाम 6 बजकर 10 मिनट पर हो जाएगा। इस बार कुंभ संक्राति पर पुण्य काल 5 घंटे 34 मिनट होगा। वहीं हापुण्य काल 2 घंटा 51 मिनट का होगा।
भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का करें जाप
ॐ सूर्याय नमः
ॐ घृणि सूर्याय नमः
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ आदित्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः