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लखीमपुर हिंसा: 129 दिन बाद जेल से बाहर आया आशीष मिश्रा

Lakhimpur violence

Lakhimpur violence

लखीमपुर। खीरी में तिकुनिया हिंसा (Lakhimpur Violence) मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू (Ashish Mishra) की आज जेल से रिहाई हो गई है। देश के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से बीते गुरुवार को ही जमानत मिल चुकी है।

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से 10 फरवरी को जमानत मिलने के बाद कहा गया कि कागजी कार्रवाई पूरी होते ही आशीष मिश्रा को लखीमपुर जेल से रिहा कर दिया जाएगा, लेकिन फिर भी मिश्रा जेल से रिहा नहीं हो पाए। वजह थी उनके जमानत आदेश में दो धाराओं का न होना।

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दरअसल, लखीमपुर पुलिस ने आशीष मिश्रा पर क्राइम नंबर 219/21 पर एफआईआर दर्ज की। विवेचना के दौरान दाखिल की गई चार्जशीट में आईपीसी की धारा 147,148, 149,302, 307,326, 34, 427, और 120बी के साथ 3/25, 5/27 व 39 आर्म्स एक्ट शामिल थी।

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के बाद आशीष मिश्रा को जिन धाराओं में जमानत दी, उसमें आईपीसी की 147 148, 149 307,326, 427/34 , 30 आर्म्स एक्ट, 177 एमवी एक्ट हैं। जमानत ऑर्डर में धारा 302,120B नहीं लिखी थी। जबकि नियम है कि आरोपी जिन-जिन धाराओं में जेल में बंद होगा, उन सभी धाराओं में जमानत मिलने के बाद ही रिहाई होगी।

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यही वजह है  शुक्रवार को  कि आशीष मिश्रा के वकील को हाई कोर्ट में बेल ऑर्डर की करेक्शन एप्लीकेशन डालनी पड़ी। सोमवार को सुनवाई होने के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि आशीष मिश्रा के बेल ऑर्डर में आईपीसी 302 और 120बी जोड़ दिया जाए।

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जिला जज ने इस हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की रिहाई मामले में 3-3 लाख के दो बेल बॉन्ड जमा करने को कहा। इसके बाद लखीमपुर जिला जज के यहां बेल बॉन्ड और जमानतदारों के कागजों को दाखिल किया गया, जिनका वेरिफिकेशन हुआ और फिर रिहाई का आदेश जारी किया गया।

क्या है पूरा मामला

बीते साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर लौट रहे चार किसानों को एसयूवी कार से कुचल दिया गया था। इस घटना के बाद भड़की हिंसा में और भी लोग मारे गए। आरोप है कि किसानों को कुचलने वाली कार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की थी और उसमें उनका बेटा अजय मिश्रा उर्फ मोनू सवार था। बता दें कि इस मामले में पुलिस ने मोनू को 9 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया था।

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