अयोध्या: राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि के विस्तारीकरण का काम शुरू कर दिया है। मंदिर निर्माण स्थल से सटे जर्जर मंदिरों के भवनों को हटाए जाने का कार्य के लिए भी एलएंडटी को ही जिम्मेदारी दी गई है, जिसमें सबसे पहले राम जन्मस्थान और सीता रसोई के जर्जर हो चुके भवन को ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया है।
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राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए अधिग्रहित परिसर में 67 एकड़ भूमि के साथ 13 अन्य मंदिरों को भी अधिकृत किया गया था। लंबे अरसे से अधिग्रहित होने के कारण सभी भवन जर्जर हालात में है। वहीं, मंदिर निर्माण के लिए आसपास की भूमि को खाली कराए जाने की आवश्यकता थी, जिसके कारण अब जर्जर हालात के इन सभी मंदिरों को गिराए जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस कार्य की जिम्मेदारी एलएंडटी को दी गई है।
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राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक मंदिर निर्माण के लिए अधिग्रहित परिसर में स्थित कई मंदिरों को गिरायाा जाएगा। पहले चरण में राम जन्मस्थान, सीता रसोई, साक्षी गोपाल और मानस भवन का भाग गिराया जाएगा। बाद में अन्य मंदिरों के जर्जर भवनों भी गिराए जाने के साथ परिसर का विस्तार होगा।
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1992 में हुए रामजन्म भूमि परिसर के अधिग्रहण के दरमियान 13 मंदिर ऐसे थे जो अधिग्रहण में चले गए थे। 28 वर्षों में प्रमुख रूप से अधिग्रहण में गए मंदिरों में राम खजाना, सीता रसोई, सुमित्रा भवन, मानस भवन, लक्ष्मण मंदिर, आनंद भवन शामिल हैं। इनमें जीर्ण शीर्ण हुए मंदिरों का दोबारा से जीर्णोद्धार कराया जाएगा।