आज गुप्त नवरात्रि का आखिरी दिन है। आज के दिन दसवीं महाशक्ति और महाविद्या देवी मां कमला की पूजा अर्चना भक्त कर रहे हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कमला या कमलात्मिका को दस महाविद्याओं में दसवें स्थान पर रखा गया है।
देवी का स्वरुप कमल या पद्म के समान है। देवी कमला, तांत्रिक लक्ष्मी के नाम से भी जानी जाती हैं। देवी को सम्पन्नता, सुख, समृद्धि, सौभाग्य और वंश विस्तार देने वाला बताया गया है। देवी की आराधना करने वाले जातक का घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहता है।
देवी कमला का स्वरुप:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कमला का स्वरुप अत्यंत ही दिव्य तथा मनोहर एवं सुन्दर हैं। देवी कमला की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी. देवी कमला ने भगवान विष्णु को पति रूप में वरण किया था। देवी कमला चतुर्भुजी हैं। देवी कमला के प्रादुर्भाव की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। समुद्र मंथन के समय देवी भगवती अमृत कलश लेकर निकली। देवी कमला ही अन्नपूर्णा हैं। देवी कमला की आराधन करने से सौभाग्य और सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
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देवी कमला का मंत्र:
- ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः .
- “ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा
कमल गट्टे की माला के साथ इन मंत्र का जाप करें।
कमला कवच:
लक्ष्मीर्मे चाग्रतः पातु कमला पातु पृष्ठतः।
नारायणी शीर्षदेशे सर्व्वांगे श्रीस्वरूपिणी।।
रामपत्नी प्रत्यंगे तु सदावतु रमेश्वरी।
विशालाक्षी योगमाया कौमारी चक्रिणी तथा।।
जयदात्री धनदात्री पाशाक्षमालिनी शुभा।
हरिप्रिया हरिरामा जयंकरी महोदरी।।
कृष्णपरायणा देवी श्रीकृष्णमनमोहिनी।
जयंकरी महारौद्री सिद्धिदात्री शुभंकरी।।
सुखदा मोक्षदा देवी चित्रकूटनिवासिनी।
भयं हरेत्सदा पायाद् भवबन्धाद्विमोचयेत्।।