धर्म डेस्क। 16 दिनों तक चलने वाला महालक्ष्मी व्रत 25 अगस्त से शुरू हो चुका है। हिंदू पंचाग के अनुसार ये व्रत भाद्रपह महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है जो आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अटष्टमी तिथि तक रहता है। महालक्ष्मी व्रत घर में सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। खास बात है कि भाद्रमद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी भी मनाई जाती है। इसी तिथि को दूर्वा अष्टमी भी होती है। जानिए क्या है महालक्ष्मी व्रत, पूजा और महत्व के बारे में।
कब से कब तक है महालक्ष्मी व्रत
- महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ: 25 अगस्त से
- महालक्ष्मी व्रत का समापन: 10 सितंबर को
महालक्ष्मी व्रत का मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से हो रहा है। ये 26 अगस्त को सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक है।
जानें क्या है व्रत का नियम
- यह व्रत 16 दिनों तक चलता है।
- ये व्रत विवाहित और अविवाहित महिलाएं 16 दिनों तक व्रत रखती हैं।
- जो महिलाएं 16 दिनों तक व्रत नहीं रख पाती वो 3 तीन दिन या फिर आखिरी दिन व्रत रख सकती हैं।
- इस व्रत के दौरान महिलाएं अन्न ग्रहण नहीं करती।
महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
- पूजा स्थल पर हल्दी से कमल बनाकर माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
- माता की मूर्ति हाथी पर बैठी हुई हो, स्थापना करते वक्त लाल कपड़ा पाटे पर जरूर बिछा लें।
- इस व्रत में दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल और दूध डालकर देवी लक्ष्मी की मूर्ति का अभिषेक करें।
- मूर्ति के सामने श्रीयंत्र, सोने चांदी के सिक्के और फूल फूल चढ़ाएं
- पूजा के पहले दिन हल्दी से रंगे 16 गांठ वाला रक्षासूत्र अपने हाथ में बांधे
- माता के आठ रूपों की मंत्रों के साथ कुमकुम, चावल और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें
- माता लक्ष्मी की आरती करें
- पूजा के दौरान माता को कमल गट्टे की माला और कौड़ी चढ़ाएं
- पूजा के बाद इन दोनों चीजों को अपने तिजोरी या जहां पर पैसे रखते हो वहां पर रख दें
- 16वें दिन महालक्ष्मी के व्रत का उद्यापन किया जाता है़
- 16 गांठ वाले इस रक्षासूत्र को नदी में विसर्जित करें।