अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पॉक्सो न्यायालय कोर्ट नं0 1 अरविंद कुमार यादव ने मंगलवार को हत्या के आरोपी को आजीवन कारावास एवं पचास हजार रूपये जुर्माने की सजा से दण्डित किया। जुर्माना अदा न करने पर दो वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
मामला थाना जसराना से जुड़ हुआ है। भवरपाल सिंह घिरोर चौराहा जसराना से अपने गांव नगला रामा जा रहा था तभी रास्ते में उसे एक मोटरसाइकिल पड़ी दिखी पास में ही खेत में एक शव पड़ा था जिसके सीने पर चोट के निशान थे। पुलिस ने इस मामले में हत्या का मुकदमा अज्ञात में दर्ज कर जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान प्रार्थी विशेष कुमार की ओर से थाने पर एक प्रार्थना पत्र दिया गया जिसमें उसने कहा कि उसका भाई ओमकार उर्फ दीपक पुत्र कुंवरपाल निवासी नगला सागर एका व उपेन्द्र उर्फ करू पुत्र अर्जुन सिंह निवासी ग्राम पैंढत एका दोनों साथ मिलकर दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते थे। दोनों में दोस्ती थी।
उसका भाई ओमकार उर्फ दीपक का कुछ लेनदेन उपेंद्र उर्फ करू पर था। दोनों दीपावली के त्यौहार पर घर आए थे। 4 नवंबर 2016 को उपेंद्र उसके घर आया था तभी उसके भाई ओमकार उर्फ दीपक ने उससे पैसे मांगे। इसके बाद शाम को उपेन्द्र उसके भाई ओमकार उर्फ दीपक को मोटरसाइकिल पर बैठा कर ले गया। इसके बाद उसके भाई ओमकार उर्फ दीपक का कोई पता नहीं चला। दूसरे दिन चौकी से सूचना आई तो ओमकार के परिजन व अन्य लोग वहां गए और शव की पहचान ओमकार उर्फ दीपक के रूप में की गई। उसे विश्वास हो गया कि लेनदेन को लेकर उपेंद्र ने उसके भाई ओमकार की गोली मारकर हत्या कर दी है।
पुलिस ने विवेचना उपरान्त आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। मुकदमा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पॉक्सो न्यायालय कोर्ट नं0 1 अरविंद कुमार यादव के न्यायालय में विचारण एवं निस्तारण हेतु भेजा गया। न्यायालय ने अभियुक्त पर आरोप लगाया। अभियुक्त ने आरोप से इन्कार करते हुए सत्र परीक्षण की माॅग की। अभियोजन पक्ष की ओर से तमाम गवाहों ने गवाही दी। शासन की ओर से पैरवी कर रहे सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी कमल सिंह ने केस को साबित करने के लिए उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय की तमाम नजीर न्यायालय के समक्ष पेश की।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविन्द कुमार यादव नेे दोनों पक्षों के तर्क सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध तमाम साक्ष्य का गहनता से अध्यन करने के बाद आरोपी उपेन्द्र उर्फ करू को दोषी पाते हुए खुले न्यायालय में सजा सुनाई है।