शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का दिन सभी भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अलग-अलग दिन के अनुसार की जाती है। साथ ही उन्हें प्रिय भोग और फूल भी अर्पित किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता कि अगर आपकी कोई कामना है, जिसे आप पूरी करना चाहते हैं, तो नवरात्रि के नौ दिन अखंड ज्योति (Akhand Jyot) जलाने की मान्यता है। आपको बता दें, अखंड ज्योति जलाने के भी कई नियम बताए गए हैं।
अब ऐसे में अगर आप नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति (Akhand Jyot) जलाने की सोच रहे हैं, तो आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि अखंड ज्योति कब जलाएं और इसे जलाने के नियम और महत्व क्या है?
नवरात्रि (Shardiya Navratri) के दौरान कब जलाएं अखंड ज्योति (Akhand Jyot)
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, अखंड ज्योति (Akhand Jyot) को देवी माता का प्रतीक माना जाता है। इसे जलाने से देवी माता की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति बनीरहती है। अखंड ज्योति अंधकार का नाश करती है और प्रकाश का प्रतीक है। यह ज्ञान और बुद्धि का भी प्रतीक है। अखंड ज्योति सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत मानी जाती है। यह घर में सकारात्मक वातावरण बनाती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है। अगर आप घर में नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति (Akhand Jyot) जला रहे हैं, तो पूरे नौ दिनों तक जलाएं और इस बात ध्यान रहे कि दीपक की लौ बूझनी नहीं चाहिए। यह अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिनके घरों में अखंड ज्योति जलती है, उनके घर की सुख-समृद्धिहमेशा बनी रहती है। साथ ही मां दुर्गा का आशीर्वाद भी बना रहता है।
नवरात्रि (Shardiya Navratri) के दौरान अखंड ज्योति (Akhand Jyot) जलाने के नियम
– अखंड ज्योति (Akhand Jyot) के लिए शुद्ध घी का दीपक का उपयोग करना चाहिए।
– दीपक का आकार ऐसा होना चाहिए कि ज्योति लंबे समय तक जलती रहे।
– दीपक को पूजा स्थल पर या घर के मंदिर में शुद्ध स्थान पर रखना चाहिए।
– दीपक को पूर्व या उत्तर दिशा में रखना शुभ माना जाता है।
– दीपक को नियमित रूप से जलते रहना चाहिए और इसकी पूजा करनी चाहिए।
– इस बात का ध्यान रखें कि घी के दीपक को मां दुर्गा की प्रतिमा के दाहिने तरफ रखना चाहिए। अगर आप तेल का दीपक जला रहे हैं, तो मां के बाईं तरफ रखें।
– दक्षिण दिशा में भूलकर भी दीपक को न रखें।
– पूरे नौ दिनों तक दीपक जलते रहनी चाहिए। तभी इसे अखंड ज्योति कहा जाता है।