कीव। यूक्रेन के मिलिट्री डॉक्टरों ने कमाल का काम किया है। रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के एक सैनिक की ओर वीओजी ग्रैनेड (VOG Grenade) फायर किया। ये ग्रैनेड सीधे जाकर सैनिक के सीने में धंस गया। पर फटा नहीं। हालांकि ग्रैनेड जिंदा था। मतलब अगर जरा सी लापरवाही होती तो ये फट जाता। इस वजह से इसे निकालने के लिए यूक्रेन के मिलिट्री डॉक्टरों को अलग तरकीब लगानी पड़ी।
यूक्रेन की उप रक्षा मंत्री हन्ना मालियार ने अपने फेसबुक पर इस घटना की तस्वीरें और कहानी पोस्ट की। जिसमें सैनिक का एक्स-रे दिख रहा है। एक्स-रे में सीने के अंदर 40 मिलिमीटर (1.6 इंच) का वीओजी ग्रैनेड फंसा दिख रहा है। असल में वीओजी ग्रैनेड को लॉन्चर से दागा जाता है। यह हाथ से फेंकने वाले ग्रैनेड से अलग होता है। यह जब टारगेट से टकराता है, तब प्रेशर क्रिएट होने की वजह फटता है। इसका इस्तेमाल दुनियाभर में अलग-अलग युद्धों में होता आया है।
हैरानी इस बात की थी कि यह ग्रैनेड (Grenade) सैनिक की पसलियों से टकराने के बाद भी नहीं फटा। समस्या ये थी कि अगर सर्जरी के दौरान छोटी सी भी लापरवाही हुई तो ग्रैनेड फट जाता। सैनिक के साथ-साथ डॉक्टर्स की टीम भी घायल होती या लोग मारे जाते। फिर इस सर्जरी का जिम्मा सौंपा गया यूक्रेन के सबसे बड़े मिलिट्री सर्जन आंद्री वर्बा को। उन्होंने सर्जरी के दौरान मिलिट्री के दो कॉम्बैट इंजीनियर्स को ऑपरेशन थियेटर में रखा। ताकि वो ग्रैनेड फटने से रोकने में डॉक्टर की मदद करें और मेडिकल स्टाफ को बचा सके।
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ऐसा पहली बार हुआ था कि ऑपरेशन थियेटर में किसी सर्जरी के दौरान डॉक्टर के साथ मिलिट्री के कॉम्बैट इंजीनियर्स मौजूद थे। खैर ऑपरेशन सफल रहा। डॉक्टर आंद्री वर्बा सर्जरी के बाद ग्रैनेड को अपने हाथ में लेकर देखा भी। वीओजी ग्रैनेड को लॉन्चर की मदद से करीब आधा किलोमीटर दूर बैठे टारगेट तक दागा जा सकता है। सर्जरी के दौरान डॉ. आंद्री ने इलेक्ट्रोकॉगुलेशन (Electrocoagulation) की प्रक्रिया नहीं की। इसमें शरीर में नियंत्रित तरीके से कम मात्रा में करंट दौड़ाकर खून की नसों के किनारों को हल्का सा जलाया जाता है। ताकि घाव या चोट को भरा जा सके। लेकिन इस सर्जरी में यह काम नहीं किया गया क्योंकि इलेक्ट्रिक करंट से ग्रैनेड (Grenade) फट सकता था।