अयोध्या में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में पहली बार कमल खिला है। इसके पहले कभी भी अयोध्या में भाजपा का जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं रहा। शनिवार को हुए चुनाव में भाजपा की रोली सिंह ने पहली बार अयोध्या में कमल खिलवाया। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी से पूर्व मंत्री आनन्द सेन की पत्नी इंदू सेन अपमा परंपरागत मत भी सहेज नहीं सकी। जबकि कांग्रेस और बसपा ने वॉकओवर दे दिया। अयोध्या में कमल खिलने के पीछे शतरंज की वो बिसात है जिसकी बदौलत मोहरों का ऐसा उलटफेर हुआ कि अपनों ने ही अपने को मात दी।
अयोध्या में भाजपा ने पूरा बाजार द्वितीय से जिला पंचायत सदस्य बनीं रोली सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था। रोली सिंह, आलोक सिंह रोहित की पत्नी हैं। उनकी गिनती बड़े ट्रांसपोर्टर में होती है। यहां यह जानना भी जरूरी है कि रोली सिंह से अधिक दावेदारी इंद्रभान सिंह की थी। जो लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं और चुनाव भी लड़ते रहे हैं। इसलिए टिकट को लेकर भाजपा में कुछ दिनों तक माथापच्ची चलती रही और उसके बाद अंततः रोली सिंह को भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी बना दिया गया .
भाजपा जिला अध्यक्ष संजीव सिंह ने बताया कि प्रदेश नेतृत्व की अनुशंसा और क्षेत्रीय अध्यक्ष शेष नारायण मिश्रा के निर्देश पर टिकट की घोषणा हुई थी। यह दांव इतना सही निकला कि भाजपा ने राम नगरी अयोध्या में अपनी जोरदार दस्तक दे दी और उनका उम्मीदवार भी विजयी हो लिया। वहीं भाजपा के उलट समाजवादी पार्टी ने इन्दू सेन को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। पूर्व ब्लाक प्रमुख रहीं इंदू सेन पूर्व मंत्री आनंद सेन यादव की पत्नी हैं और अयोध्या जनपद के सबसे कद्दावर नेताओं में एक रहे मित्र सेन यादव की बहू हैं। दशकों तक इस परिवार का अयोध्या जनपद की राजनीति में बड़ा दखल रहा लेकिन पहले बहुचर्चित शशि हत्याकांड में आनंद सेन का नाम आने और उसके बाद मित्र सेन यादव की मृत्यु के बाद इस परिवार की राजनीतिक पकड़ कमजोर होती गई।
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अयोध्या के जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस पार्टी और बहुजन समाज पार्टी द्वारा अपने को अलग कर लिए जाने के बाद भाजपा और सपा का ही एक दूसरे से मुकाबला था। अगर आंकड़ों की बात करें तो समाजवादी पार्टी का पलड़ा भारी था। अयोध्या में जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 40 है। इसमें भारतीय जनता पार्टी के जिला पंचायत सदस्यों की संख्या महज 8 थी। इसके उलट समाजवादी पार्टी की 16 थी. वहीं 1 रालोद, 4 बसपा सदस्य और 11 अन्य की संख्या है। कयास इस बात के थे कि चुनाव से बाहर बहुजन समाज पार्टी के सदस्य किसको समर्थन करेंगे और बड़ी संख्या में जीत कर आए अन्य किसकी तरफ जाएंगे। यहीं आंकड़े जीत की गुणा गणित तय करेंगे। लेकिन परिणाम ने दूरगामी राजनीति की ओर इशारा किया है।
शतरंज के खेल में चाल बहुत महत्वपूर्ण होती है। एक बार अगर नजर मोहरों से हट गई तो जीती बाजी हारने में देर नहीं लगेगी। फिर यहां तो राजनीति की शतरंज थी जिसमें सामने चली जाने वाली चालों से अधिक छुपी हुई चालें महत्वपूर्ण होती हैं जो अगर कामयाब हो गईं तो अपने ही मोहरे अपनो को मात दिला देते हैं। ऐसा ही कुछ अयोध्या में भी देखने को मिल गया। मोहरों की चाल ऐसी बिगड़ी कि विरोधी देखते रह गए और भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले इस सेमीफाइनल में बढ़त हासिल कर ली।
अयोध्या में सभी विकास चाहते हैं इसलिए उन्होंने भाजपा को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी दी है और हम इस पर खरा उतरेंगे। वहीं पहली बार राजनीति में कदम रख रहीं रोली सिंह कहती हैं शुरुआत कहीं न कहीं से होती है. लोगों और पार्टी के दिशा निर्देश पर सबकुछ सीख जाऊंगी और अच्छा काम करके दिखाउंगी।