लखनऊ में विभूतिखंड के कठौता में गैंगवार और अजीत सिंह की हत्या के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर कानून का शिकंजा कस गया है। सोमवार को गैंगवार में घायल शूटर का इलाज कराने वाले सुल्तानपुर के डॉक्टर एके सिंह ने पुलिस को बताया कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने ही उन्हें फोन करके इलाज कराने को कहा था। हालांकि, उन्हें नहीं पता था कि घायल व्यक्ति कोई अपराधी है और उसे गोली लगी है। डॉक्टर के बयान के आधार पर पुलिस पूर्व सांसद धनंजय सिंह से पूछताछ की तैयारी कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द धनंजय सिंह को नोटिस भेजा जाएगा।
दरअसल, अजीत सिंह हत्याकांड की जांच में जुटी लखनऊ पुलिस को जानकारी मिली थी कि गैंगवार में घायल एक शूटर का इलाज सुल्तानपुर के एक डॉक्टर एके सिंह ने किया था। इसके बाद पुलिस ने नोटिस भेजकर डॉक्टर को पूछताछ के लिए सोमवार को बुलाया था। पुलिस एके सिंह ने बताया कि धनंजय सिंह ने उन्हें इलाज के लिए कहा था। उन्हें नहीं पता था कि घायल व्यक्ति अपराधी है और उसे गोली लगी है। डॉक्टर एके सिंह पर आईपीसी 176 की कार्रवाई के बाद 5 लाख रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें थाने से छोड़ा गया।
पूछताछ के दौरान डॉक्टर ने घायल को देखने या पहचानने की बात से भी इनकार किया। उन्होंने बताया कि घायल का उपचार दूसरे डॉक्टर ने किया था। वह अगले दिन अस्पताल पहुंचे तब घायल का हालचाल लिया। घायल व्यक्ति को सरिया नहीं बल्कि गोली लगी थी और वह एक सुपारी किलर था? यह सवाल पूछने पर डॉक्टर ने इस बारे में कोई भी जानकारी से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि घायल को न ही देखा था न उसके और उसके जख्म के बारे में वह जानते थे। उन्होंने जो भी किया वह चिकित्सा धर्म और आचार संहिता के मुताबिक किया।
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अब डॉक्टर के इस बयान के बाद पुलिस यह मानकर चल रही है कि अजीत सिंह हत्याकांड में धनंजय सिंह ने न सिर्फ शूटर्स मुहैया करवाए बल्कि उन्हें पुलिस से बचाने की भी कोशिश की। अब पुलिस धनंजय सिंह को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी में है। पुलिस का मानना है कि धनंजय सिंह से पूछताछ के बाद कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके गुर्गे विपुल कुमार सिंह भले ही डॉक्टरों से शूटर के पेट में सरिया घुसने की बात कहते रहे हों लेकिन जख्म देखते ही डॉक्टर समझ गए थे कि उसके गोली आरपार हो गई है। डॉक्टरों को यह भी अंदाजा था कि घायल व्यक्ति कोई अपराधी है या फिर अपराधिक वारदात में शामिल है। इसके बाद भी उन्होंने पुलिस को सूचना नहीं दी और अंतिम समय तक शूटर के बारे में जानकारी छिपाते रहे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच-पड़ताल में डॉक्टरों के खिलाफ सूचना छिपाने की कार्रवाई बन रही है। विपुल के पकड़े जाने के बाद अगर कुछ और तथ्य मिलते हैं तो आगे कार्रवाई की जाएगी। इससे पूर्व पुलिस ने राजधानी के एक निजी अस्पताल के चिकित्सक निखिल सिंह के खिलाफ सूचना न देने के आरोप में कार्रवाई की थी। निखिल ने भी पूर्व सांसद के इशारे पर इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के पास स्थित अपार्टमेंट के फ्लैट में जाकर घायल शूटर का उपचार किया था।
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अजीत सिंह की हत्या में धनंजय सिंह के अलावा कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पूर्वांचल के एक और बाहुबली पूर्व सांसद और एक बाहुबली विधायक भी कहीं न कहीं इस मामले से जुड़े हैं। सूत्रों की माने तो अजीत सिंह की हत्या बाहुबली मुख्तार अंसारी का नेटवर्क खत्म करके अपना वर्चस्व कायम करने, कोयला व रेलवे के ठेकों में सिक्का चलाने और कुंटू सिंह के बहाने पूर्वांचल में एक जातीय समीकरण तैयार करने का एक जरिया थी। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में कई बड़े लोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं।