• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

Mahashivratri: जानिए महादेव को कैसे मिला त्रिशूल, क्या है इसका महत्व

Writer D by Writer D
15/02/2023
in धर्म, फैशन/शैली
0
Masik Shivaratri

Masik Shivaratri

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

इस साल महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का पावन पर्व 18 फरवरी को है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) ने साकार स्वरुप धारण किया था। उससे पहले वे परमब्रह्म सदाशिव थे।

भगवान शिव का स्मरण होते ही हाथों में त्रिशूल (Trishul) , डमरु, सिर पर जटा, गले में सांप पहने महादेव (Mahadev) की विराट छवि मन में बनती है। वे भूत हैं, भविष्य हैं और वर्तमान भी। वे काल से परे स्वयं महाकाल हैं। काल भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता, इसलिए वे महाकाल (Mahakal) हैं। उनके प्रमुख दो शस्त्र धनुष और त्रिशूल हैं। ​उनके हाथ में त्रिशूल रहता है। प्रश्न उठता है कि भगवान शिव के पास त्रिशूल कैसे आया? इसका क्या अर्थ और महत्व है? आइए जानते हैं इसके बारे में।

शिव के त्रिशूल का रहस्य

शिव पुराण में बताया जाता है कि सृष्टि के आरंभ के समय भगवान शिव ब्रह्मनाद से प्रकट हुए थे। उनके साथ ही तीन गुण रज, तम और सत गुण भी प्रकट हुए। ये तीनों ही भगवान शिव के शूल बनें, जिससे त्रिशूल बना। त्रिशूल शिव जी का प्रमुख अस्त्र है। यह तीन गुण रज, तम और सत का प्रतीक है। प्रारंभ से ही त्रिशूल भगवान शिव के साथ है। विष्णु पुराण के अनुसार, विश्वमकर्मा ने सूर्य के अंश से त्रिशूल का निर्माण किया था, जिसे उन्होंने भगवान शिव को दे दिया था।

रज, तम और सत गुण में संतुलन के बिना सृष्टि का संचालन नहीं हो सकता था। सृष्टि में संतुलन स्थापना के लिए भगवान शिव ने अपने हाथों में त्रिशूल धारण किया। इन तीनों गुणों में संतुलन के लिए महादेव ध्यान में मग्न रहते हैं।

इन तीन गुणों का समावेश त्रिशूल में है, यह इस बात को भी दर्शाता है कि भगवान शिव इन तीनों ही गुणों से ऊपर हैं क्योंकि उन्होंने इन पर विजय प्राप्त कर रखी है।

त्रिशूल को तीन काल से भी जोड़कर देखा जाता है। यह भूतकाल, भविष्य काल और वर्तमान काल का भी प्रतीक है। इस वजह से ही तो भगवान शिव त्रिकालदर्शी हैं। उनको भूत, भविष्य और वर्तमान की सभी चीजों के बारे में ज्ञात है।

कुछ लोग यह भी मानते हैं किै भगवान शिव का त्रिशूल तीनों देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का भी प्रतीक है। भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से कई राक्षसों का वध किया था और सृष्टि में शांति स्थापित की थी।

भगवान शिव के भक्त अपने घरों में त्रिशूल रखते हैं। इसे रखने से घर की नकारात्मक शक्तियां दूर होती है। भय नहीं रहता है।

Tags: mahadevmahashivratriMahashivratri 2023mahashivratri date
Previous Post

बनी रहेगी गणपति जी की आप पर कृपा, बुधवार के दिन करें ये उपाय

Next Post

महाशिवरात्रि के दिन ऐसे करें शिवलिंग का जलाभिषेक, हर दोषों से मिलेगा छुटकारा

Writer D

Writer D

Related Posts

Skin Tips
Main Slider

चेहरे का निहार हो गया है गायब, तो खूबसूरत दिखने के लिए आजमाएं ये घरेलू उपाय

15/08/2025
red wine
फैशन/शैली

चेहरे के दाग-धब्बों से छुटकारा दिलाएगी वाइन, ऐसे करें इस्तेमाल

15/08/2025
hair color
Main Slider

लम्बे समय तक बनाये रखें हेयर कलर, तो इन टिप्स की लें मदद

15/08/2025
independent day
Main Slider

ये देश भी 15 अगस्त को मनाते हैं स्वतंत्रता दिवस

15/08/2025
Makhane Kheer
खाना-खजाना

जन्माष्टमी के व्रत बनाएं मखाने की खीर

15/08/2025
Next Post
Shivling

महाशिवरात्रि के दिन ऐसे करें शिवलिंग का जलाभिषेक, हर दोषों से मिलेगा छुटकारा

यह भी पढ़ें

Ambedkar University Delhi

स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पहली कट-ऑफ सूची की जारी

16/10/2020
Aarti

आरती करते समय न करें ये गलतियां, वरना पूजा हो जाएगी असफल

05/01/2025
minor raped

नाबालिग के साथ खेत में दुष्कर्म का प्रयास, आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस

23/01/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version