नई दिल्ली। इतिहास में पहली बार अमेरिकी नौसेना (American Ship) का कोई जहाज मरम्मत के लिए भारत आया है। अमेरिकी नौसेना के इस जहाज की मरम्मत एलएंडटी के तमिलनाडु स्थित शिपयार्ड में की जाएगी।
11 दिनों में होगी अमेरिकी जहाज (American Ship) की मरम्मत
यह ऐतिहासिक घटना ऐसे समय हुई है, जब एशिया में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियां नए चरम पर पहुंच गई हैं। चीन की हरकतों को देखते हुए भारत और अमेरिका विभिन्न क्षेत्रों में रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। ताजा घटनाक्रम में अमेरिकी नौसेना का जहाज Charles Drew मरम्मत के लिए भारत आया है। इस जहाज की मरम्मत व अन्य संबंधित कार्य एलएंडटी के Kattupalli स्थित शिपयार्ड में किए जाएंगे, जिसमें 11 दिन लगने का अनुमान है। आने वाले समय में और भी अमेरिकी जहाज मरम्मत के लिए भारत आ सकते हैं।
अमेरिकी जहाज (American Ship) को रिसीव करने के लिए रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, वाइस चीफ ऑफ नेवल स्टाफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमाड़े, तमिलनाडु व पुदुचेरी नेवल एरिया के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग रियर एडमिरल एस वेंकट रमण और रक्षा मंत्रालय के कई सीनियर अधिकारी एलएंडटी के शिपयार्ड पहुंचे। चेन्नई स्थित अमेरिकी दूतावास की काउंसिल जनरल जुडिथ रेविन और नई दिल्ल स्थित अमेरिकी दूतावास में डिफेंस अटैची रियर एडमिरल माइकल बेकर भी इस दौरान शिपयार्ड में मौजूद रहे।
मेक इन इंडिया (Make in India) को मिला बड़ा बूस्ट
अमेरिकी नौसेना (American Ship) के इस जहाज को मरम्मत के लिए भारत आना ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) और ‘रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता’ की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। जहाजों की मरम्मत करने के बाजार में भारतीय शिपयार्ड की दखल तेजी से बढ़ रही है। भारतीय शिपयार्ड उन्नत मैरिटाइम प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए कम कीमत पर जहाजों की मरम्मत व रख-रखाव के विविध समाधान ऑफर करते हैं। इस कारण भारतीय शिपयार्ड को ग्लोबल मार्केट में तरजीह मिल रही है। एलएंडटी के शिपयार्ड को अमेरिकी नौसेना से टेंडर मिलना इसका बड़ा सबूत है।
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रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने इसे भारतीय शिपयार्ड इंडस्ट्री और भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के लिए ऐतिहासिक दिन करार दिया। उन्होंने कहा, ‘हम अमेरिकी नौसेना के जहाज Charles Drew का भारत में स्वागत करते हुए उत्साहित हैं। भारत में शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री में परिपक्वता आ रही है।
आज भारत में 6 बड़े शिपयार्ड हैं, जिनका टर्नओवर करीब 2 बिलियन डॉलर है। हम सिर्फ अपनी जरूरतों के लिए ही जहाज नहीं बना रहे हैं। हमारे पास अपने डिजाइन हाउसेज हैं, जो सभी प्रकार के स्टेट-ऑफ-दी-आर्ट जहाज बनाने में सक्षम हैं। देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत भारतीय शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री के ग्रोथ का जीता-जागता उदाहरण है।’