धर्म डेस्क। श्रावण के पवित्र माह में भगवान शिव के ईष्ट परमेश्वर श्री राम जी का गुणगान करने वाली चौपाइयों और संपुटों का पाठ करके राम और शिव दोनों की कृपा प्राप्त की जा सकती है। अहर्निश शिव को राम नाम का जप करता देख माँ सती ने पूछा कि, स्वामी आप तो ब्रह्म का ही विग्रह रूप हो तो फिर ‘तुम्ह पुनि राम नाम दिन राती। सादर जपहु अनंग आराती।। हे परमेश्वर ! आप तो सृष्टि के आदि और अंत हैं फिर दिन-रात किन राम का नाम आदरपूर्वक जपते रहते हैं। शिव कहते हैं कि शिवे ! ‘सुमिरन सुलभ सुखद सब काहू। लोक लाहू परलोक निबाहू।। पहले तो यह कि रामनाम सुमिरन करना कठिन नहीं है राम राम हर प्राणी जप सकता है और यह ‘राम राम’ का जप जीवों को भवबंधन से मुक्त कर सकता है। इसलिए राम नाम का भजन-कीर्तन करने से प्राणी जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर मुझ परमात्मा में विलीन हो जाता है।
रामचरितमानस पाठ दिन-रात्रि में, नौ दिनों में तथा तीस दिनों में भी करने का विधान है। जन्म कुंडली में ग्रह दोषों एवं अन्य लौकिक-अलौकिक कुप्रभावों से बचने के लिए भगवान राम का इस मंत्र से ध्यान करें और दी गयी चौपाइयों का प्रयोग कर सकते हैं।
बुद्धस्त्वमेव विबुधार्चित बुद्धि बोधात्। त्वं शंकरोऽसि भुवनत्रय शंकरत्वात्।। धाताऽसि धीर शिवमार्ग विधेर्विधानात्। व्यक्तं त्वमेव भगवन् ! पुरुषोत्तमोऽसि।। देव अथवा विद्वानों के द्वारा पूजित ज्ञान वाले होने से आप ही बुद्ध हैं। तीनों लोकों में शान्ति करने के कारण आप ही शंकर हैं। हे धीर ! मोक्षमार्ग की विधि के करने वाले होने से आप ही ब्रह्मा हैं। और हे स्वामिन् ! आप ही स्पष्ट रुप से मनुष्यों में उत्तम अथवा नारायण हैं। उसके बाद अपनी कामना अनुसार इन चौपाइयों का जप करें। प्रतिदिन घर से बाहर रोजगार अथवा किसी कार्य के लिए निकलते समय सभी तरह के अशुभ मुहूर्त एवं दिशाशूल दोष समाप्त हो जाय इसके लिए मानस में दी गई मुहूर्त दोष निवारक इस चौपाई ‘प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा। को तीन बार जपें। आपके सभी कार्य सिद्ध होंगे।
राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। संकट-नाश के लिये, जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। सकल विघ्न व्यापहिं नहिं तेही। राम सुकृपाँ बिलोकहिं जेही।। जपहिं नामु जन आरत भारी।। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी ।। दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।। का पाठ नित्य प्रति करें।
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज काहूहिं नहि ब्यापा।। नाम प्रभाउ जान शिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को।। नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट। लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि बाट।। प्रनवउँ पवन कुमार,खल बन पावक ग्यान घन। जासु ह्रदयँ आगार, बसहिं राम सर चाप धर।। स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी। निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी।।
जिमि सरिता सागर महुँ जाही। जद्यपि ताहि कामना नाहीं।| तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएँ। धरमसील पहिं जाहिं सुभाएँ।| प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।। जे सकाम नर सुनहि जे गावहि। सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।। साधक नाम जपहिं लय लाएँ। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएँ।। सुनहिं बिमुक्त बिरत अरु बिषई। लहहिं भगति गति संपति नई।।
श्रावण शुक्ल पक्ष में प्रतिदिन स्नान के बाद मानस की इन चौपाइयों का पाठ करने से जातक दैहिक दैविक एवं भौतिक तीनों तापों से मुक्त कर देगा।