तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कृषि संबंधी विधेयकों को पारित कराने के दौरान हंगामा करने वाले विपक्ष के आठ सांसदों को शेष सत्र के लिये निलंबित किये जाने को सरकार की तानाशाही मानसिकता का परिचायक बताते हुए सोमवार को इस लड़ाई को सड़क से संसद तक लड़ने का ऐलान किया।
राज्यसभा में रविवार को कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के सांसदों ने जमकर हंगामा किया था। सभापति एम. वेंकैया नायडू इस की घटना से नाराज दिखे और कड़ी कार्रवाई करते हुए हंगामा करने वाले आठ सांसदों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया है।
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सुश्री बनर्जी ने सांसदों के निलंबन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, “ किसानों के हितों की आवाज उठा रहे आठ सांसदों का निलंबन दुर्भाग्यपूर्ण है और यह सरकार की तानाशाही सोच को दर्शाता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों का सम्मान नहीं करती है। हम पीछे हटने वाले नहीं है और हम इस फासीवादी सरकार के खिलाफ संसद से सड़क तक लड़गें।”
इस बीच श्री नायडू ने आज सदन की कार्यवाही के शुरु होने पर कहा, “ कल का दिन राज्यसभा के लिए बहुत खराब दिन था। कुछ सदस्य सदन के बीचों-बीच तक आ गए औँर उपसभापति के साथ धक्कामुक्की की गई। कुछ सांसदों ने कागजों को फेंका । माइक को तोड़ दिया रूल बुक फेंका गया । घटना से बेहद दुखी हूं। उपसभापति को धमकी दी गई । यही नहीं उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गयी।
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निलंबित सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, रिपुन बोरा, सैयद नजीर हुसैन, केके रागेश, ए करीम, राजीव सातव और डोला सेन हैं।