लाइफ़स्टाइल डेस्क। आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार सोच पर आधारित है।
‘सितारों तक हम भले ही न पहुंच सके लेकिन उनकी तरफ निगाह तो रहनी ही चाहिए।’ आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि सितारे हम से बहुत दूर होते हैं। उन तक पहुंच पाना बहुत मुश्किल है लेकिन हमें हमेशा सितारों की ऊंचाई की तरह अपनी सोच ऊंची रखनी चाहिए। अपनी इस लाइन में आचार्य चाणक्य जीवन में हमेशा सोच को बड़ा यानी कि ऊंचा रखना चाहिए इस ओर संकेत दे रहे हैं।
जीवन में मनुष्य के उतार चढ़ाव आते रहते हैं। कभी दुख है तो फिर सुख भी आएगा। वहीं अगर सुख है तो दुख की परछाई का भी आना तय है। लेकिन मनुष्य को सभी परिस्थितियों में अपनी सोच को ऊंचा रखना चाहिए। अगर व्यक्ति की सोच आसमान की तरह ऊंची है तो वो जीवन में हमेशा तरक्की करेगा। मनुष्य की सोच ही उसके जीवन की दिशा को तय करती है।
अगर व्यक्ति अपनी सोच ऊंची नहीं रखेगा तो वह एक बंद कमरे की चार दीवारी में कैद होकर रह जाएगा। करियर बनाना हो या फिर अपने लिए एक मकान बनवाना हो। इन दोनों ही चीजों में सोच का अहम रोल है। कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य के पास इतना पैसा नहीं होता कि वो एक कमरे के मकान से निकलकर अपने लिए दो कमरों का मकान खरीदें। लेकिन अपनी सकारात्मक सोच और उसकी तरफ हौसले से बढ़े कदम मनुष्य को वो सब कुछ दिला सकते हैं।
इसी तरह करियर में भी सोच का अहम हिस्सा होता है। कई बार मनुष्य आसमान की ऊंचाई तक पहुंचने यानी कि अपने जीवन के उस मुकाम में पहुंचना चाहता है जहां पर उसके परिवार का कोई सदस्य नहीं पहुंचा। ऐसे व्यक्ति का मजाक उड़ाने वाले तो आपको लाखों लोग मिल जाएंगे। लेकिन अपने करियर को उस बुलंदी तक ले जाने की इच्छा व्यक्ति को हौसला भी देती है जिसके सहारे वो अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है। इसीलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि सितारों तक हम भले ही न पहुंच सके लेकिन उनकी तरफ निगाह तो रहनी ही चाहिए।