आयुर्वेद और योग, विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियां हैं जो अनन्त कालीन परम्परा से किसी न किसी रूप में सम्पूर्ण विश्व में व्यवहार में है। गुरू राम राय यूनिवर्सिटी देहरादून में कार्यरत योग विभाग के प्रो० डा० कंचन जोशी ने बताया कि कोरोना काल के निदान चिकित्सा एवं बचाव में योग व आयुर्वेद की भूमिका सर्वोपरि रही हैं। आयुर्वेद में सुश्रुत ने पूर्ण स्वास्थ्य के लक्षणों की उपस्थिति करने का अत्यंत सफल प्रयास किया है क्योंकि पूर्ण स्वास्थ्य का मूल लक्ष्य है। वर्तमान में योग व आयुर्वेद द्वारा स्वास्थ्य संवर्धन सम्पूर्ण विश्व समुदाय के लिए एक सहज व प्राकृतिक विधियां है। श्री जोशी ने बताया कि कोरोना महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है। ऐसे समय में योग व आयुर्वेद को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता से संक्रमण को दूर किया जा सकता है । यौगिक हठग्रथों मे वर्णित अभ्यास षटकर्म, आसन, प्राणायाम, मुद्राएं, ध्यान जैसे अभ्यास वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रामबाण औषधि का कार्य कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि षट्कर्म मे कुंजर, जलनेति व लघु शंखप्रक्षालन से शरीर की शुद्धि होती है इससे कफ बाहर निकाल दिया जाता है जिससे सांस लेना आसान हो जाता है। यौगिक सुक्ष्म क्रियाएं के द्वारा लिम्फ ग्रंथियाँ सक्रिय हो जाती है जिससे प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। ताडासन, कटिचक्रासन, भुजंगासन , उष्ट्रासन, गोमुखासन से फेफडे मजबूत होते है।
अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस से पहले माधुरी दीक्षित ने खोला अपनी फिटनेस का राज
भ्त्रिरका,अनुलोम विलोम व भ्रामरी प्राणायाम से सांस लेना छोडने की तकलीफ में आराम मिलता है। ॐ का उच्चारण करने मानसिक शान्ति प्राप्त होती है।उन्होंने बताया कि दालचीनी, तुलसी, काली मिर्च, अदरक उबाल कर गुनगुना करके पीने से ज्वर का निवारण होता है। लौकी , तोरी, परवल , टिण्डा पित्त नाशक है। लौग, जावित्री, अदरख ,जीरा, आजवाइन का प्रयोग कर कफ को दूर किया जा सकता है।