हिंदू धर्म में दिसंबर के दौरान पड़ने वाली पूर्णिमा ( Purnima) का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं, इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुभ योग बन रहे हैं, जिससे यह तिथि बेहद खास मानी जा रही है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से लक्ष्मी नारायण की पूजा अर्चना की जाती है, जिससे घर में सुख-संपत्ति बनी रहती है। वहीं, इस दिन कुछ लोग चंद्र देव को अर्घ्य भी देते हैं। इसलिए आइए जानते हैं कि इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत किस दिन रखा जाएगा और मां लक्ष्मी की पूजा-विधि –
पूर्णिमा ( Purnima) कब है:
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत दिसम्बर 14 को शाम 04:58 मिनट पर होगी और इसके अगले दिन यानी 15 दिसम्बर को दोपहर 02:31 मिनट पर तिथि का समापन होगा।
उदया तिथि अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, माघ पूर्णिमा 15 दिसम्बर को मनायी जाएगी। इस दिन चन्द्रोदय शाम 05:14 मिनट पर होगा।
पूर्णिमा ( Purnima) पूजा-विधि
मार्गशीर्ष की पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में नदी में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं, अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर घर में ही स्नान करें।
मार्गशीर्ष की पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) तिथि के दिन पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन प्रभु को पीले रंग के फल, फूल और वस्त्र चढ़ाना चाहिए।
वहीं, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत रखने और इस दिन लक्ष्मी नारायण की विधिवत पूजा करने से घर में सुख-संपत्ति और खुशहाली बनी रहती है।