हिंदू धर्म शास्त्रों में मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) बड़ी पावन मानी गई है। मासिक शिवरात्रि का पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ का व्रत और पूजन किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि के दिन जो भी सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव का व्रत और पूजन करता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। घर में सुख शांति रहती है।
ज्योतिषविदों की माने तो इस बार चैत्र माह की मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के दिन कई दुर्लभ और शुभ योग एक साथ बन रहे हैं। इन योगों में भगवान शिव की पूजा करने वालों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी। ऐसे में आइए जानते हैं कि चैत्र माह की मासिक शिवरात्रि कब पड़ रही है। साथ ही इस दिन कौन से शुभ और दुर्लभ योग बन रहे हैं।
कब है मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri)
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 27 मार्च को देर रात 11 बजकर 3 मिनट पर हो रही है। वहीं, इस कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का समापन अगले दिन 28 मार्च को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर हो जाएगा। मासिक शिवरात्रि पर निशा काल में भगवान शिव की पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए 27 मार्च को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी। इसी दिन इसका व्रत भी रखा जाएगा।
बनेंगे ये शुभ और दुर्लभ योग
मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह 9 बजकर 25 मिनट तक साध्य योग रहने वाला है। इसके बाद शुभ योग का निर्माण होगा। शुभ योग 28 मार्च को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। मासिक शिवरात्रि के दिन शतभिषा नक्षत्र का संयोग भी बनेगा। इसके साथ ही गर और वणिज करण के योग भी बनेंगे। इन शुभ और दुर्लभ योगों में जो भी भगवान शिव का पूजा करेगा, उसकी सारी इच्छाएं पूरी होंगी। पूजा का दोगुना पुण्य प्राप्त होगा। साथ ही जीवन में मंगल होगा।
मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के दिन प्रात: काल जल्दी स्नान करें। फिर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल पर चौकी रखें और उसपर लाल कपड़ा बिछाएं। फिर शिवलिंग की स्थापना करें। शिवलिंग पर पंतामृत और बेलपत्र चढाएं। शिवलिंग पर पुष्प और चंदन चढ़ाएं। धूप दीप जलाएं। फल और मिठाई का भोग लगाएं। भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। शिव पुराण या शिव महापुराण की कथा पढ़ें। अंत में आरती कर पूजा का समापन करें।