सिद्धार्थनगर। सपा (SP) की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे माता प्रसाद पांडेय (Mata Prasad Pandey) को नेता विरोधी दल बनाया जा सकता है। यूपी की राजनीति में माता प्रसाद का बड़ा हस्तक्षेप माना जाता है। इसके साथ ही वह समाजवादी पार्टी का बड़ा चेहरा भी हैं।
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के बीच शनिवार को भविष्य की रणनीति पर लम्बी गुफ्तगू हुई। सूत्रों के मुताबिक उसमें माता प्रसाद पांडेय को विधानसभा अध्यक्ष बनाने पर भी चर्चा हुई।
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उधर अखिलेश यादव ने पार्टी के जीते विधायकों की 21 मार्च को बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि इसमें नेता विरोधी दल के नाम पर मुहर लग सकती है।
मुलायम सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रहे
माता प्रसाद सिद्धार्थनगर की इटवा विधानसभा सीट से सातवीं बार विधायक रह चुके हैं। माता प्रसाद पांडे मुलायम सिंह यादव की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रहे। 2012 में जब सपा फिर से सत्ता में आई और अखिलेश यादव की सरकार बनी तो उनको एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया।
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पहला चुनाव वर्ष 1980 में जनता पार्टी से लड़ा था और जीत हासिल की। 1985 के चुनाव में लोकदल से विजय प्राप्त की थी। 1989 के चुनाव में जनता दल से विजय प्राप्त किया। 1991 व 1996 के चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। दोनों चुनाव में यह तीसरे स्थान पर रहे।
2002 के चुनाव में सपा प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर जीत हासिल की। 2012 व 2007 के चुनाव में सपा के ही चुनाव चिन्ह से सदन में पहुंचे थे। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी उम्मीदवार डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी से चुनाव हार गए थे और तीसरे नंबर पर आए थे।
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में यानी 10 मार्च को नतीजे आए। जिसमें सातवीं बार विधायक चुने गए। माता प्रसाद पांडेय ने इस बार योगी सरकार में मंत्री रहे बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी को हराया है।