लखनऊ। मथुरा जिले में 23 करोड़ रुपये के हुए छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल प्रदेश के 27 निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। इस घोटाले में 25 अन्य निजी आईटीआई की मिलीभगत का भी खुलासा हुआ है। उन्हें भी ब्लैकलिस्ट कर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा और इन संस्थानों से घोटाले की रकम की वसूली की जाएगी।
फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दाखिला, समान नामवालों को छात्रवृत्ति
जांच समिति ने पाया कि 11 मान्यताविहीन शिक्षण संस्थानों में करीब 253.29 लाख का गबन हुआ, जबकि 23 कॉलेजों में 5000 से अधिक छात्रों ने कोर्स ही पूरा नहीं किया और उन्हें करीब 969 लाख की छात्रवृत्ति दे दी गई। कई निजी आईटीआई कॉलेजों में स्वीकृत सीट के सापेक्ष करीब पांच हजार एडमिशन ज्यादा कर लिए गए। इन्हें भी छात्रवृत्ति दिलाई गई। वहीं, 38 कॉलेजों में 100 से अधिक समान नाम, पिता का नाम और समान जन्म तिथि वाले फर्जी छात्रों को भी शुल्क प्रतिपूर्ति कराई गई। यही नहीं फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर भी छात्रों के दाखिले करने और उन्हें छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति कराने का काम भी हुआ।
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निजी आईटीआई कॉलेजों में 23 करोड़ रुपये का गबन
मथुरा के चार दर्जन से ज्यादा निजी आईटीआई कॉलेजों में हुए इस गड़बड़झाले के मामले में सीएम योगी के निर्देश पर जांच कराई गई है। जांच समिति ने अलग-अलग तरीकों से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर करीब 23 करोड़ रुपये गबन होने की बात पाई गई है। यही नहीं, दर्जन भर अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई. सीएम योगी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति के मुताबिक एक्शन लेते हुए सभी दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों और संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर कराने के आदेश दिए।
कई अधिकारियों पर गाज
मथुरा के निजी आईटीआई संस्थानों में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में अनियमितता, भ्रष्टाचार और गबन के चर्चित मामले में मथुरा के जिला समाज कल्याण अधेकारी करुणेश त्रिपाठी को निलंबित कर दिया गया है।
छात्रों का भविष्य अधर में
एक आईटीआई में न्यूनतम 80 बच्चे होते हैं। यदि मान्यता निरस्तीकरण की कार्रवाई की गई तो इससे इन संस्थानों में पढ़ने वाले पांच हजार से ज्यादा स्टूडेंट प्रभावित होंगे।
कैसे हुआ था घोटाला?
निजी आईटीआई संस्थाओं ने फर्जी अभिलेखों से छात्र-छात्राओं का ब्यौरा तैयार किया गया। अपने पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या कई गुना बढ़ाकर दिखाई गई। परीक्षा फार्म भी फर्जी ब्यौरे से भरवाए और परीक्षा भी दिलवाई गई है।