लखनऊ। बसपा (BSP) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने यूपी के निकाय चुनाव (Nikay Chunav) में पार्टी की करारी हार की समीक्षा करने के लिए लखनऊ स्थित बसपा कार्यालय में 18 मई को आपात बैठक बुलाई है।
इस बैठक में सभी बड़े नेताओं और पदाधिकारियों को शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं। मायावती (Mayawati) इस बैठक में यूपी निकाय चुनाव (Nikay Chunav) में बसपा की करारी हार पर मंथन करेंगी। प्रदेश के 17 नगर निगमों में बसपा एक पर भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। वहीं, 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी सिर्फ एक ही विधायक जीत दर्ज कर सका था। प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है।
यूपी निकाय चुनाव (Nikay Chunav) में बहुजन समाज पार्टी के सारे दांव पेंच फेल हो गए। पिछले चुनाव में मेरठ और अलीगढ़ मेयर की कुर्सी भी हाथ से निकल गई। बता दें कि इस चुनाव में 17 मेयर प्रत्याशियों में से 15 तो अपनी जमानत ही जब्त करवा बैठे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी में बहुजन समाज पार्टी की स्थिति कैसी होती जा रही है?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर मायावती (Mayawati) ने अपनी राजनीति नहीं बदली तो यह पार्टी कहीं की नहीं बचेगी। उनका मानना है कि पार्टी का प्रदर्शन चुनाव दर चुनाव खराब ही होता जा रहा है। नगर निकाय में पार्टी के बदतर प्रदर्शन को लेकर अब बहुजन समाज पार्टी के मुखिया अपने कई नेताओं पर कार्रवाई कर सकती हैं।
बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश में सभी 17 नगर निगम में चुनाव लड़ा था। सभी 17 सीटों पर मेयर प्रत्याशी उतारे थे। इस बार बीएसपी मुखिया मायावती (Mayawati) ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए ब्राह्मणों को दरकिनार कर दलित-मुस्लिम कांबिनेशन बनाया था। 17 में से 11 मेयर प्रत्याशी मुस्लिम ही थे। शेष दलित और पिछड़ा वर्ग से, लेकिन जनता को मायावती का यह प्रयोग बिल्कुल भी रास नहीं आया। हश्र ये हुआ कि जब चुनाव परिणाम आए तो 17 महापौर प्रत्याशियों में से मायावती की पार्टी के 15 प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। दो प्रत्याशी किसी तरह भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को टक्कर देने में सफल हुए। नगर पालिका और नगर पंचायत में भी बहुजन समाज पार्टी का प्रदर्शन दोयम दर्जे का रहा।
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की ही बात कर ली जाए तो यहां पर भी मायावती (Mayawati) ने शाहीन बानो को मेयर प्रत्याशी बनाया था। उम्मीद जताई जा रही थी मुस्लिम कैंडिडेट देने से लखनऊ के ज्यादातर मुस्लिम शाहीन बानो को समर्थन देंगे, लेकिन नतीजों में ऐसा कुछ नहीं दिखा। भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के महापौर प्रत्याशी की तुलना में बहुजन समाज पार्टी को काफी कम वोट मिले। ऐसे में मायावती का यह प्रयोग पूरी तरह असफल ही कहा जाएगा। इसके अलावा राजधानी लखनऊ बीएसपी का एक पार्षद निर्वाचित हुआ है।